इंटरनेट पर विदेशी मुद्रा या फॉरेक्स में अवैध ट्रेडिंग करानेवाले पोर्टल धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे हैं। अभी कुछ दिनों पहले तक इकनॉमिक टाइम्स से लेकर हिंदू बिजनेसलाइन जैसे तमाम प्रमुख आर्थिक अखबारों की साइट पर आईफॉरेक्स (iForex) जैसी फर्मों के आकर्षक विज्ञापन दिख जाते थे। लेकिन अब वे एक सिरे से गायब हो गए हैं। यह असर है रिजर्व बैंक द्वारा पहले 21 फरवरी और फिर 7 अप्रैल 2011 को जारी चेतावनी का। लेकिन लंबे समय सेऔरऔर भी

ग्रीस का संकट हमारे नीति-नियामकों को भी परेशान किए हुए है, लेकिन सभी एक स्वर से कहने में लगे हैं कि इसका भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पहले यह बात वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और वित्त सचिव अशोक चावला बोल चुके हैं। अब रिजर्व बैंक के गर्वरन डी सुब्बाराव ने भी कह दिया है कि ग्रीस संकट के चलते भारत के बाह्य क्षेत्र के सामने कोई समस्या नहीं आएगी। सुब्बाराव मंगलवार को पुणे में रिजर्व बैंकऔरऔर भी

भारतीय रिजर्व बैंक धीरे-धीरे रुपए को पूंजी खाते में परिवर्तनीय बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इसके तहत एक तो उसने तय किया है कि अब विदेशी यात्रा पर जाने पर कोई भारतीय नागरिक 2000 डॉलर के बजाय 3000 डॉलर ले सकता है। यह रकम लीबिया, इराक, ईरान, रूसी संघ और सीआईएस देशों के लिए पहले से 5000 ड़ॉलर है जिसे जस का तस रखा गया है। दूसरे, अभी तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मेंऔरऔर भी

देश के विदेशी मुद्रा बाजार में अभी तक केवल फ्यूचर सौदों की ही इजाजत है। लेकिन पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी मुद्रा के डेरिवेटिव उत्पादों का दायरा बढ़ाने पर विचार कर रही है। इसकी शुरुआत ऑप्शन सौदों से की जाएगी। यह बात आज सेबी के चेयरमैन सी बी भावे ने सिंगापुर में भारतीय वित्तीय बाजार पर आयोजित एक सम्मेलन में कही। इस सम्मेलन का आयोजन प्रमुख उद्योग संगठन सीआईआई (कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) ने किया था। भावेऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने तय किया है कि किसी भी नए एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) और उनके सब-एकाउंट को पंजीकरण के समय यह घोषणा करनी पड़ेगी कि वह चंद निवेशकों के लिए काम करनेवाली पीसीसी (प्रोटेक्टेड सेल कंपनी) या एसपीसी (सेग्रिगेटेड पोर्टफोलियो कंपनी) नहीं हैं और न ही दूसरा नाम रखकर वह ऐसा कोई काम करता है। साथ ही अगर कोई एफआईआई व्यापक निवेशकों के आधार वाले एमसीवी (मल्टी क्लास वेहिकल) के रूप में कामऔरऔर भी

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर सारे भ्रमों को दूर करते हुए केंद्र सरकार कल, बुधवार को एक दस्तावेज जारी करेगी। यह दस्तावेज वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा द्वारा जारी किया जाएगा। मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। इस दस्तावेज में सरकार की एफडीआई नीति से संबंधित सारे पहलू एक साथ दिए जाएंगे। इनका अंदाज ऐसा होगा कि कोई भी इन्हें आसानी से समझ सकता है क्योंकि सभी नियम काफी सरल अंदाज में पेश किएऔरऔर भी

भारतीय रुपया डॉलर और यूरो जैसी विदेशी मुद्राओं के खिलाफ मजबूत होता जा रहा है। पिछले साल मार्च में रुपए की विनिमय दर प्रति डॉलर 50 रुपए के आसपास थी। लेकिन अब यह 45 रुपए के नीचे जाती दिख रही है। यानी जहां पहले एक डॉलर में 50 रुपए मिलते थे, वहीं अब 45 रुपए ही मिलते हैं। इसने अपनी आय का बड़ा हिस्सा विदेश से हासिल करनेवाली आईटी कंपनियों को परेशान कर दिया है क्योंकि डॉलरऔरऔर भी

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के एक नए सर्कुलर ने ऐसी तमाम कंपनियों को सकते में डाल दिया है जो करेंसी फ्यूचर्स सौदों में हुए मार्क टू मार्क नुकसान के दम पर कर में छूट हासिल करती रही है। सीबीडीटी ने स्पष्ट किया है कि जब तक विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव या करेंसी फ्यूचर्स सौदे असल में पूरे नहीं हो जाते, तब उन पर होनेवाले सांकेतिक नुकसान का फायदा कर रियायत के लिए नहीं मिल सकता। असल मेंऔरऔर भी

कुल विदेशी निवेश में एफडीआई का हिस्सा 30.04 फीसदी है तो पोर्टफोलियो निवेश है 20.45 फीसदी। देश में दीर्घकालिक निवेश के लिए आ रही है ज्यादा पूंजी और घट रहा है हॉट मनी का हिस्सा। देश में हो रहे कुल विदेशी निवेश में प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) का हिस्सा पिछले एक साल से बढ़ रहा है और अब यह पोर्टफोलियो निवेश से ज्यादा हो गया है। भारत के अंतरराष्ट्रीय निवेश पर जारी रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट केऔरऔर भी

पिछले मार्च से इस मार्च के बीच अमेरिकी सरकार के बांडों में भारत का निवेश तीन गुना से ज्यादा हो गया है। देश की तरफ से तकरीबन 99 फीसदी निवेश भारतीय रिजर्व बैंक अपने विदेशी मुद्रा खजाने से करता है। वित्तीय संस्थाओं और कॉरपोरेट क्षेत्र की तरफ से किया गया निवेश एक फीसदी से भी कम रहता है। यूएस ट्रेजरी विभाग की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2008 तक अमेरिकी सरकार के बांडों मेंऔरऔर भी