चाहने भर से मंज़िलें नहीं मिला करतीं। दुनिया में किसी भी चाह को पूरा करने के लिए सामाजिक तंतुओं को जोड़ना पड़ता है। अगर हम यह जोड़ नहीं हासिल कर पाते तो चाहतें ताजिंदगी कचोट बनकर रह जाती हैं।और भीऔर भी