अगर कोई रिटेल ट्रेडर सोचता है कि वह खबरों पर खेलकर बाज़ार से नोट बना लेगा तो यह उसकी निपट मूर्खता है। खबरों पर या तो कंपनी के प्रवर्तक व अंदर के लोग या उनसे गहरा ताल्लुक रखनेवाली संस्थाएं ही कमाती हैं। प्रवर्तक अमूमन खुद सीधे कुछ नहीं करते, बल्कि कामयाब निवेशकों का पट्टा पहने ऑपरेटरों का सहारा लेते हैं। कई तो रिसर्च कंपनियों की आड़ में धूर्त प्रवर्तकों की सेवा करते हैं। अब सोमवार का व्योम…औरऔर भी

शेयर बाज़ार मुख्यतः चार दौर या चक्र से गुजरता है: निराशा, संशय, आशा और उन्माद। निराशा के दौरान जमकर खरीदना और एकदम नहीं बेचना चाहिए। संशय के दौरान संभलकर खरीदना और थोड़ा-थोड़ा बेचकर मुनाफा बनाना चाहिए। आशा के दौर में सावधानी से खरीदना और बराबर बेचकर मुनाफा निकालना चाहिए। वहीं, उन्माद के दौर में जमकर बेचना और बेहद चुनिंदा खरीद करनी चाहिए। अभी हमारा बाज़ार उन्माद के दौर में है। अब तथास्तु में आज की संभावनामय कंपनी…औरऔर भी

अपनी भावनाओं का सारथी बनना और दूसरों की भावनाओं का शिकार करना। यही वह असली सॉफ्टवेयर है जिससे आप शेयर बाज़ार ही नहीं, हरेक वित्तीय बाज़ार में बड़े सुकून से बराबर कमाई कर सकते हैं। जिस दिन आप शेयरों के भाव के पीछे घहराती भावनाओं के बादल को समझने लग जाते हैं, उसी दिन से आपको इस खेल में आनंद आने लगता है और यही आनंद फिर आपको कमाई तक ले जाता है। अब शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

भीड़ से अलग चलने के लिए बड़ा जिगरा चाहिए। यह एक ऐसी शर्त है जिसे पूरा किए बिना आप वित्तीय बाज़ार से बराबर मुनाफा नहीं कमा सकते। इस शर्त का मूलाधार है खुद अपने भीतर की भावनात्मक बाधाओं पर जीत हासिल करना। इसमें ध्यान काफी मददगार साबित हो सकता है। ऐसे ध्यान से आप अपनी भावनाओं के प्रेक्षक बनने का अभ्यास करते हैं। फिर एक दिन आप भावनाओं के सारथी बन जाते हो। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

अगर हम अपने नैसर्गिक/प्राकृतिक स्वभाव से शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग या निवेश करने लग जाएं तो भयंकर मुसीबत में फंस सकते हैं। बराबर मुनाफा कमानेवाला ट्रेडर तब खरीदता है, जब हर कोई बेच चुका होता है। वहीं, वह तब बेचता है जब हर कोई खरीद चुका होता है, शेयर के भाव काफी चढ़ चुके हैं और चार्ट पर हरे-हरे कैंडल ही दिख रहे होते हैं। वह भीड़ की मानसिकता से अलग चलता है। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी