साल 2018 का आखिरी दिन। इस दौरान पहली जनवरी से लेकर 28 दिसंबर तक बारह महीनों में निफ्टी-50 मात्र 4.07% और सेंसेक्स 6.69% बढ़ा है। वहीं, बीते हफ्ते अडानी पोर्ट्स 7.5% बढ़ गया। यह होता है लंबे निवेश और छोटी अवधि की ट्रेडिंग का फर्क। अगर कोई इंसान सतर्क रहे और शेयर बाज़ार व स्टॉक्स के स्वभाव को भलीभांति समझ ले तो ट्रेडिंग से लंबे निवेश की बनिस्बत कहीं ज्यादा कमा सकता है। अब सोम का व्योम…औरऔर भी

पुराना साल गया। नए साल में लालच के छल्ले फेंकने का दौर चालू है। ब्रोकर दस-बीस स्टॉक उछालकर उनमें साल भर में 20-30% कमाई का दावा कर रहे हैं। लेकिन गौर करें तो ये सभी स्टॉक्स पहले से काफी बढ़ चुके हैं। यह है आम दृष्टि के दोहन का फॉर्मूला क्योंकि लोगबाग चढ़े-बढ़े हुए के पीछे ही भागते हैं। लेकिन शेयर बाज़ार में निवेश से कमाई खास दृष्टि से होती है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…औरऔर भी

केवल 5% पूंजी ही ट्रेडिंग में लगानी चाहिए। रिटेल निवेशकों के लिए यह नियम बहुत खास है। शेयर बाज़ार के लिए अलग निकाले गए धन या अपनी सभी वर्तमान व भावी ज़रूरतों की गणना के बाद बचे इफरात धन का 95% हिस्सा उन्हें लंबे निवेश में लगाना चाहिए। इसका 50-60% भाग लार्जकैप, 30-40% मिडकैप और 20-30% स्मॉलकैप में लगाना चाहिए। नए साल में इस नियम का पालन करें तो वह शुभ ही होगा। अब शुक्र का अभ्यास…औरऔर भी

इंसान के लालच और डर की कोई सीमा नहीं होती। यही दो भाव या विकार समूचे शेयर बाज़ार को चलाते हैं। यहां भी पचास-सौ नहीं, बल्कि लाखों लोगों के विकार एकसाथ काम करते हैं। इसलिए उनका सम्मिलित परिणाम क्या होगा, इसे कोई भी पहले से पक्का नहीं बता सकता। बड़ी से बड़ी गणना तक में गुंजाइश रहती है कि वह उलटी पड़ जाए। जो प्रायिकता समझते हैं, वही शेयर बाज़ार से कमाते हैं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

जो लोग शेयर बाज़ार में आंख मूंदकर कूद पड़ते हैं, जिन्हें लगता है कि यहां नोट बनाना बहुत आसान है, वे अपने सपने ही नहीं, सारी पूंजी तक गंवा बैठते हैं। दो बात गांठ बांध लीजिए। पहली यह कि शेयर बाज़ार से थोड़े समय में नोट बनाना बेहद-बेहद कठिन है। दूसरे, यहां वही लोग ज्यादा कमाते हैं, जिनके पास जमकर इफरात पूंजी होती है। कम पूंजीवाले ज्यादा कमाकर भी पर्याप्त नहीं कमा पाते। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी