खाद्य मुद्रास्फीति में कमी, ईंधन में अभी से आग

खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति की दर 23 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह में घटकर 8.53 फीसदी पर आ गई। लेकिन ईंधन व बिजली का सूचकांक इसी दौरान 13.53 फीसदी बढ़ गया। नतीजतन प्राथमिक वस्तुओं की महंगाई दर दहाई अंक में 12.11 फीसदी पर डटी हुई है। बता दें कि थोक मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं का भार 14.34 फीसदी और ईंघन व बिजली का 14.91 फीसदी है।

वैसे, तुलनात्मक रूप से देखें तो प्राथमिक वस्तुओं की महंगाई दर साल भर इसी दौरान 21.67 फीसदी, खाद्य मुद्रास्फीति 20.91 फीसदी और ईंधन व बिजली की मुद्रास्फीति दर 13.41 फीसदी थी। इससे यही पता चलता है कि साल भर पहले स्थिति और भी बदतर थी।

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 23 अप्रैल को खत्म हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति की दर के घटकर 8.53 फीसदी पर आने में सबसे बड़ा योगदान दालों का रहा है जिसके दाम साल भर पहले की अपेक्षा 7.39 फीसदी घट गए हैं। इससे पहले 16 अप्रैल को खत्म हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति की दर 8.76 फीसदी थी।

खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी सरकार और रिजर्व बैंक के लिए एक बड़ी राहत है खासकर ऐसे समय में जब दो दिन पहले ही रिजर्व बैंक द्वारा घोषित मौद्रिक नीति में विशेष रूप से मुद्रास्फीति से मुकाबला करने पर जोर दिया गया। लेकिन अगले हफ्ते पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ गए तो मुश्किल बढ़ सकती है।

वैसे, जिंसों के दाम अब भी एक साल पहले की तुलना में तेजी पर हैं। आलोच्य सप्ताह में जहां, अनाज एक वर्ष पूर्व की तुलना में 4.42 फीसदी महंगा हुआ, वहीं चावल 2.08 फीसदी और गेहूं 0.06 प्रतिशत महंगा रहा। सब्जियों की थोक कीमतें एक वर्ष पूर्व की तुलना में औसतन 3.44 फीसदी ऊंची हैं।

इस दौरान आलू 0.27 फीसदी बढ़त के साथ लगभग ठहरा हुआ है। लेकिन प्याज और फल अब भी आग लगाए हुए हैं। प्याज 16.09 फीसदी महंगा हुआ, जबकि फलों के दाम 32.69 फीसदी बढ़े हैं। इस दौरान दूध 5.16 फीसदी महंगा हुआ है और अंडा, मीट व मछली 5.13 फीसदी महंगे हैं।

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