खाद्य मुद्रास्फीति और घटी, पर दबाव बरकरार

सरकारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति की दर 16 जुलाई को समाप्त सप्ताह में घटकर 20 माह के न्यूनतम स्तर 7.33 फीसदी पर आ गई। लेकिन दूध, फल और अंडा, मांस व मछली जैसी जिन प्रोटीन-युक्त खाद्य वस्तुओं का खास जिक्र दो दिन पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने मौद्रिक की समीक्षा में किया था, उनके दाम अब भी ज्यादा बने हुए हैं।

साल भर की समान अवधि की तुलना में उक्त सप्ताह में फल 13.90 फीसदी और दूध 9.96 फीसदी महंगा हुआ है, जबकि अंडा, मांस व मछली के दाम थोड़ा कम 6.36 फीसदी बढ़े हैं। यहीं नहीं, इस बार आलू 10.55 फीसदी और प्याज 22.66 फीसदी महंगा रहा है।

थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति इससे पूर्व सप्ताह में 7.58 फीसदी थी। इस बार गिरावट का कारण पिछले साल इसी अवधि के दौरान मुद्रास्फीति का ऊंचा होना भी है। उस समय खाद्य मुद्रास्फीति की दर 18.56 फीसदी थी।

प्राथमिक वस्तुओं पर भी दबाव बना हुआ है। 16 जुलाई को समाप्त सप्ताह में इनकी मुद्रास्फीति 10.49 फीसदी रही है, जो इससे पिछले सप्ताह 11.13 फीसदी थी।  इसी तरह गैर खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 16.05 रही है, जो इससे पिछले सप्ताह 15.50 फीसदी थी।

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी का कहना है, “ये साप्ताहिक आंकड़े आधार प्रभाव की वजह से ऊपर नीचे होते हैं। इनसे किसी निश्चित रुख का पता नहीं चलता। मुद्रास्फीति का दबाव अब भी बना हुआ है।” जून में सकल मुद्रास्फीति की दर 9.44 फीसदी रही है। दिसंबर 2010 से ही यह 9 फीसदी से ऊपर चल रही है।

खाद्य मुद्रास्फीति के ताजा आंकड़ों पर रेटिंग एजेंसी इक्रा की अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट की मुख्य वजह पिछले साल का आधार प्रभाव है। अगले हफ्तों में यह रुख उलट सकता है। उन्होंने सब्जियों, फलों और प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने पर चिंता जताई। खाद्य मुद्रास्फीति के अगले आंकड़े वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से 4 अगस्त को जारी किए जाएंगे जिनमें 23 जुलाई तक की स्थिति बताई जाएगी।

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