देश में सोने-चांदी का आयात बीते वित्त वर्ष (अप्रैल 2011 से मार्च 2012) के दौरान 44.4 फीसदी बढ़कर 61.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह हमारे कुल 184.9 अरब डॉलर के व्यापार घाटे के एक-तिहाई से ज्यादा, 33.26 फीसदी है।
वित्त वर्ष 2011-12 में सबसे ज्यादा आयात पेट्रोलियम तेलों का बढ़ा है। यह 46.9 फीसदी बढ़कर 155.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया। हालांकि इससे बचना मुश्किल है क्योंकि देश में पेट्रोलियम तेलों की जरूरत का लगभग 80 फीसदी हिस्सा आयात से पूरा किया जाता है। लेकिन सोने-चांदी के आयात को निश्चित रूप से कम किया जा सकता है क्योंकि ये सिर्फ उपभोग के लिए है और इनका देश की अर्थव्यवस्था में कोई उत्पादक योगदान नहीं है। सरकार ने सोने-चांदी के आयात को हतोत्साहित करने के लिए ही इस साल इन पर कस्टम ड्यूटी दोगुनी कर दी है।
वाणिज्य सचिच राहुल खुल्लर ने गुरुवार को राजधानी दिल्ली में देश के विदेश व्यापार के अनंतिम आंकड़ों की घोषणा करते हुए बताया कि 2011-12 में हमारा कुल निर्यात 21 फीसदी बढ़कर 303.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। लेकिन इसी दौरान आयात 32.1 फीसदी बढ़कर 488.6 फीसदी पर पहुंच गया। इसके चलते हमारा व्यापार घाटा 184.9 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है।
खुल्लर ने कहा कि व्यापार घाटे का यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है और यह गंभीर चिंता का विषय है। उनका कहना था कि सोना आयात बढ़ने की वजह से आयात का आंकड़ा बढ़ रहा है। लेकिन बजट में सोने के आयात पर शुल्क बढ़ाये जाने से चालू वित्त वर्ष 2012-13 में सोने का आयात कम होने की उम्मीद है।
वैसे, एक बात अब भी समझ में नहीं आती कि जब देश को 2011-12 में 155.6 अरब डॉलर के पेट्रोलियम तेलों का आयात करना पड़ा है तो यहां से हमने 57.5 अरब डॉलर के पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात क्यों किया है। देश से पेट्रोलियम व तेल उत्पादों का निर्यात बीते साल 38.5 फीसदी बढ़ा है। निर्यात में इंजीनियरिंग उत्पादों के बाद सबसे ज्यादा कमाई पेट्रोलियम उत्पादों से हुई है। 2011-12 में इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्यात 16.9 फीसदी बढ़कर 58.2 अरब डॉलर रहा है, जबकि जेम्स व ज्वैलरी का निर्यात 13.3 फीसदी बढ़कर 45.9 अरब डॉलर पर पहुंचा है।