रामसरूप को ले बीतेंगे भाई लोग!

तब आईबी की कोई रिपोर्ट नहीं आई थी, न ही किसी घोटाले में उसका नाम आया था। लेकिन रामसरूप इंडस्ट्रीज का शेयर एक महीने के भीतर 115 रुपए से गिरकर 65 रुपए पर आ गया। इसी हफ्ते मंगलवार 7 दिसंबर को खबर आई कि कंपनी 1800 करोड़ रुपए के ऋणों की रीस्ट्रक्चरिंग कर रही है। अचानक उसमें 10.33 लाख शेयरों के सौदे हो गए। लेकिन शेयर गिरकर 27.20 रुपए पर बंद हुआ। कल 9 दिसंबर को जब कंपनी के सीडीआर (कॉरपोरेट डेट रीस्ट्रक्चरिंग) की रूपरेखा सामने आई तो उस पर निचला सर्किट ब्रेकर लग गया और वो 4.84 फीसदी की गिरावट के साथ 24.60 रुपए पर जा पहुंचा। हद है!!

असल में स्टॉक एक्सचेंजों की व्यवस्था, प्रवर्तकों के कृत्य और ऑपरेटरों के खेल को समझने के लिए रामसरूप इंडस्ट्रीज (बीएसई – 532690, एनएसई – RAMSARUP) का स्टॉक एक शानदार केस-स्टडी हो सकता है। इसका भाव 9 अगस्त 2010 को बीएसई में 110.40 रुपए पर बंद हुआ था। कल 9 दिसंबर को इसका बंद भाव 24.60 रुपए रहा है। इस बीच न तो शेयर में कोई स्प्लिट हुआ है, न ही इसमें कोई बोनस इश्यू आया है। शेयर का अंकित मूल्य 10 रुपए ही था और 10 रुपए ही है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 2059.18 करोड़ रुपए की आय पर 44.38 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था, जबकि पिछले साल उसे 75.01 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था।

चालू वित्त वर्ष में जून 2010 की तिमाही में उसका धंधा थोड़ा मंदा पड़ा। फिर भी कंपनी ने 343.37 करोड़ रुपए की आय पर 5.88 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया। इसके बाद सितंबर 2010 की तिमाही में वह फिर घाटे में आ गई है। उसे 359.76 करोड़ रुपए की आय के बावजूद 34.97 करोड़ का शुद्ध घाटा लगा है। इसमें अन्य वजहों के अलावा सबसे बड़ा योगदान 32.91 करोड़ रुपए की ब्याज अदायगी का रहा है।

असल में कंपनी के ऊपर 1800 करोड़ रुपए का कर्ज है। यह कर्ज उसने 19 बैंकों से ले रखा है। लेकिन ये सभी बैंक अब उसके कर्ज की रीस्ट्रक्चरिंग के लिए राजी हो गए हैं। सीडीआर का पूरा ब्यौरा 6 से 8 हफ्तों में तैयार हो जाएगा। कंपनी को 700 करोड़ रुपए के नए फंड की जरूरत है जिसे प्राइवेट इक्विटी व ऋण के रूप में पूरा किया जाएगा। इससे कंपनी अपने कल्याणी और दुर्गापुर के वायर डिवीजन को अपग्रेड करेगी। कंपनी का कहना है कि इसके बाद उसका सालाना टर्नओवर 4000 करोड़ रुपए के ऊपर पहुंच जाएगा।

खैर, अब रामसरूप इंडस्ट्रीज के साथ हुए खेल की चर्चा। यह 1979 में बनी कोलकाता की कंपनी है। जानते ही है कि शेयर बाजार का सारा कच्चा खेल कोलकाता से ही होता है। कंपनी स्टील के वायर व टीएमटी बार वगैरह बनाती है। कल्याणी, दुर्गापुर, श्यामनगर और खड़कपुर में इसके संयंत्र हैं। बीच-बीच में चर्चा उठती रहती है कि आर्सेलरमित्तल समूह के मुखिया एलएन मित्तल इसमें बड़ा हिस्सा खरीदनेवाले हैं। कंपनी के प्रवर्तक और चेयरमैन व प्रबंध निदेशक आशीष झुनझुनवाला हैं।

बीएसई पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक आशीष झुनझुनवाला ने कंपनी के 8 लाख शेयर 5 से 12 अगस्त 2010 के दरम्यान बेचे। इस दौरान इसके शेयर का भाव 103 से 116 रुपए तक रहा। इसके आसपास आशीष ने फुटकर-फुटकर कंपनी के बहुत सारे शेयर बेचे। आखिरी बिक्री 12 अगस्त को उनकी 50,000 शेयरों की रही और तब शेयर का बंद भाव बीएसई में 109 रुपए था। अगले ही दिन शेयर 88 रुपए पर आ गया और उसकी तीखी ढलान शुरू हो गई। यहां एक बात नोट करने की है कि 29 जुलाई 2010 को आईडीबीआई बैंक ने बाजार से कंपनी के 10 फीसदी (35,07,848) शेयर पहली बार खरीदे हैं। तब इसका बंद भाव 104.25 रुपए था।

यहां एक बात और नोट करने की है कि रामसरूप इंडस्ट्रीज के शेयरों में तेज गिरावट का सिलसिला बीएसई द्वारा इसे ट्रेड टू ट्रेड श्रेणी में भी डालने से जुड़ा है। उधर कंपनी के प्रवर्तक ने अपने शेयर ऊंचे दाम पर निकाले और इधर वह टी ग्रुप में पहुंच गया। अगस्त का तीसरा हफ्ता आते-आते शेयर धड़ाधड़ 115 रुपए से गिरकर 70 रुपए पर आ गया। शेयरधारकों की जेब में भारी सुराख हो गया। आखिर, क्यों ऐसा किया गया? यह बात स्टॉक एक्सचेंज ही जानते हैं।

अब इसे दोबारा सामान्य श्रेणी में ले आया गया है और फिलहाल यह स्टॉक बी ग्रुप में विराजमान है। लेकिन जिस शेयर ने कुछ महीने पहले 29 जुलाई 2010 को 119.95 रुपए पर 52 हफ्ते का शिखर बनाया हो, वह अभी 24.60 रुपए की तलहटी पर हो, समझ में नहीं आता। वह भी तब, जब कंपनी के ऋणों की रीस्ट्रक्चरिंग की पूरी रूपरेखा बन गई हो और वह फिर से उछाल भरने की तैयारी में हो। आखिर में बता दें कि कंपनी की इक्विटी और रिजर्व के आधार पर उसके शेयर की बुक वैल्यू 154.61 रुपए बनती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *