सुनामी नहीं आई, झटका लग गया

बाजार बंद होते-होते साफ हो चुका था कि इंडोनेशिया में रिक्टर पैमाने पर 8.7 तीव्रता के भूकंप से भारत में किसी सुनामी का खतरा नहीं है। यह भी साफ होने लगा था कि इंडोनेशिया के जिस इलाके में भूकंप आया है, वहां से वो इलाका काफी दूर और अप्रभावित है, जहां से भारत की तमाम कंपनियां कोयला आयात करती हैं। लेकिन माहौल में डर छा चुका था और कोयला आयात करनेवाली तमाम भारतीय कंपनियों के शेयर गिरने लगे। इसमें अडानी पावर, रिलायंस पावर और जेएसडब्ल्यू एनर्जी जैसी कंपनियां शामिल हैं।

वैसे, पूरे एशिया में माहौल सुबह से ही पस्त था। भारतीय बाजार गिरकर खुला और ज्यादातर वक्त नीचे ही नीचे चलता रहा। बस, दो से तीन बजे के बीच करीब 40 मिनट के लिए बाजार लाल से हरे ज़ोन में चला गया था। जिंसों के धंधे जुड़ी कंपनियों के शेयर खासतौर पर प्रभावित हुए। सेंसेक्स 0.26 फीसदी और निफ्टी 0.32 फीसदी गिरा। लेकिन टाटा स्टील में 1.35 फीसदी, जिंदल स्टील में 2.92 फीसदी, एसीसी में 4.93 फीसदी और अंबुजा सीमेंट्स में 3.73 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। अडानी पावर 2.21 फीसदी गिरा तो जेएसडब्ल्यू एनर्जी 2.42 फीसदी। लेकिन एनटीपीसी 1.79 फीसदी तो रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन का शेयर 1.21 फीसदी बढ़ गया। विदेशी एयरलाइंस को निवेश की इजाजत मिलने की खबरों के बीच जेट एयरवेज 5.26 फीसदी बढ़कर 358.50 रुपए तो स्पाइसजेट 5.45 फीसदी और किंगफिशर एयरलाइंस 6.43 फीसदी बढ़ गया।

वैसे, किंगफिशर एयरलाइंस के बाद अब शरद पवार की करीबी मानी जानेवाली हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) कर्ज के भंवरजाल में फंसती दिख रही है। कंपनी लवासा सिटी परियोजना के लिए बैंकों से लिये गए ऋण को कायदे से लौटा नहीं पा रही है। कुछ बैंकों ने कंपनी को दिए गए ऋण को साल की चौथी तिमाही में एनपीए में डाल दिया है। बैंकों ने कंपनी को करीब 8000 करोड़ रुपए का ऋण दे रखा है। इन ऋणों की रीस्ट्रक्चरिंग जारी है। जानकार बताते हैं कि ‘सुनामी’ आए, इससे पहले ही थोड़ा घाटा खाकर भी एचसीसी से निकल लेना बेहतर होगा। आज एचसीसी का शेयर 1.75 फीसदी गिरकर 25.25 रुपए पर बंद हुआ है।

आज कैश बाजार में एफआईआई ने जहां 1890.35 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे, वहीं 2336.12 करोड़ रुपए के शेयर बेचे। इस तरह उनकी शुद्ध बिकवाली 445.77 करोड़ रुपए की रही। दूसरी तरफ घरेलू निवेशक संस्थाओं (डीआईआई) की शुद्ध बिकवाली 82.24 करोड़ रुपए की रही। उन्होंने 943.15 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे तो 1025.39 करोड़ रुपए के बेचे। लेकिन जब कैश बाजार का वोल्यूम बीएसई व एनएसई को मिलाकर 13,500 करोड़ और डेरिवेटिव बाजार का वोल्यूम 1,30,000 करोड़ रुपए के करीब हो, तब कैश बाजार की खरीद कोई खास मायने नहीं रखती। असली खेल एफ एंड ओ का है और उसमें भी 80 फीसदी कारोबार ऑप्शंस का है।

एक बात तय है कि कैश बाजार में भले ही डीआईआई और अन्य घरेलू निवेशक एफआईआई पर भारी हों। लेकिन डेरिवेटिव्स को मिला दें तो पूरे बाजार का रुख एफआईआई ही तय करते हैं। नोट करने की बात यह है कि आज कैश बाजार में एफआईआई की कुल खरीद (एनएसई व बीएसई को मिलाकर) 1890.35 करोड़ रुपए की रही तो केवल बीएसई पर डीआईआई व अन्य भारतीय निवेशकों की कुल खरीद 3093.69 करोड़ रुपए की रही। एफआईआई ने जहां दोनों एक्सचेंजों पर 2336.12 करोड़ रुपए के शेयर बेचे, वहीं डीआईआई व अन्य भारतीय निवेशकों की बिक्री बीएसई में 2122.38 करोड़ रुपए की रही। इन आंकड़ों को कोई भी बीएसई की साइट से पुष्ट कर सकता है।

एनएसई में भारतीयों के कारोबार को जोड़ दें तो एफआईआई का दम और कम हो जाएगा। लेकिन एफआईआई और ऑपरेटर डेरिवेटिव सेगमेंट को पकड़कर बाजार का रुख तय कर रहे हैं। उन्हें फिलहाल भारतीय बाजार में आशा दिख रही है और विदेश में 1 फीसदी से भी कम ब्याज पर धन मिल रहा है, जिसे भारत में लगाकर वे 10 फीसदी भी कमा लें तो मौज करते हैं। वहीं भारतीय लोग कम से कम 10 फीसदी ब्याज पर धन लेकर आखिर कमाएंगे भी तो कितना! दुनिया से जुड़ने से भारतीय बाजार का तराजू कैसे एक तरफ ज्यादा ही झुक गया है, यह हमारे नीति-नियामकों को क्यों नहीं नज़र आता?

2 Comments

  1. वैसे, किंगफिशर एयरलाइंस के बाद अब शरद पवार की करीबी मानी जानेवाली हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) कर्ज के भंवरजाल में फंसती दिख रही है। कंपनी लवासा सिटी परियोजना के लिए बैंकों से लिये गए ऋण को कायदे से लौटा नहीं पा रही है। कुछ बैंकों ने कंपनी को दिए गए ऋण को साल की चौथी तिमाही में एनपीए में डाल दिया है। बैंकों ने कंपनी को करीब 8000 करोड़ रुपए का ऋण दे रखा है। इन ऋणों की रीस्ट्रक्चरिंग जारी है। जानकार बताते हैं कि ‘सुनामी’ आए, इससे पहले ही थोड़ा घाटा खाकर भी एचसीसी से निकल लेना बेहतर होगा। आज एचसीसी का शेयर 1.75 फीसदी गिरकर 25.25 रुपए पर बंद हुआ है।
    JAB YE SHARE AAPNE HI RECOMMEND KIYA THA, Rs. 60-70 KE RATE PAR, AB THODA GHATA KHAKAR NIKAL LENA CHAHIYE, AB YADI EES SHARE SE NIKALA JAYE TO AAPKA THODA GHATA KITNA HUA.

  2. Author

    परशुराम जी, पहली बात तो यह कि एचसीसी को खरीदने की मूल सिफारिश चक्री की थी जिनसे हम अब नाता तोड़ चुके हैं। दूसरे, हमने हाथ पकड़कर नहीं कहा था कि इसे खरीद लो। हम चक्री के हर कॉलम में शुरू से लिखते आए हैं कि आपके फैसलों के लिए चक्री या अर्थकाम जिम्मेदार नहीं होगा। तीसरी बात, खरीदना या बेचना आपकी मर्जी पर है। किसी को नहीं बेचना है तो न बेचे। हमें जो पता लगता है, हम बता देते हैं। इससे ज्यादा न तो हम कर सकते हैं और न ही हमारी जिम्मेदारी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *