मीडिया भी दोषी है बाजार तोड़ने का

शेयर बाजार में मची घबराहट व अफरातफरी के इस आलम हर कोई तम्बू समेटने और हिसाब-किताब दुरुस्त करने में लगा है। ब्रोकरेज हाउस अपने ग्राहकों से जबरदस्ती पूरी रकम निकालने लगे हैं। बल्कि, मुझे तो कुछ लोगों ने बताया कि हैदराबाद की किसी कंपनी के प्रवर्तक को एक प्रमुख ब्रोकिंग हाउस ने एयरपोर्ट से ही उठा लिया क्योंकि उसने उस ब्रोकरेज हाउस से अपना हिसाब-किताब नहीं निपटाया था। चेन्नई के एक प्रमुख अखबार ने खबर दी है कि ब्रोक्रिंग फर्में तनख्वाह में 35 फीसदी तक कटौती करने लगी हैं। स्टाफ को निकालने का सिलसिला भी शुरू हो गया है।

अनिल अंबानी समूह की तरफ से मीडिया पर लगाए गए आरोप ने उस गंदे खेल को उजागर कर दिया है जो मीडिया आजकल शेयर बाजार के साथ खेल रहा है। हम समाचार एजेंसियों की हरकत देख चुके हैं कि उन्होंने बाजार पर नकारात्मक असर डालने के लिए आईबी की रिपोर्ट को कैसे टुकड़ों-टुकड़ों में काट-छांट कर पेश किया था। इसी तरह बाकायदा खबर चलाई गई कि सेबी अगले 48 घंटों में रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के मामले में कंसेंट ऑर्डर जारी करने जा रही है जिसने पूरा माहौल ही बिगाड़ दिया। इस बाबत कोई भी कोड ऑफ कंडक्ट या आचार संहिता नहीं है। बडे अफसोस की बात है कि मीडिया के कुछ लोग माल खाने के लिए समूचे मीडिया की छवि बिगाड़ दे रहे हैं।

मंदड़िये पहले की तरह सक्रिय हैं। उनकी तरफ से हमें बराबर ई-मेल मिल रहे हैं कि बाजार सेंसेक्स को 10,000 तक ले जाने की दिशा में बढ़ रहा है। वे ऐसा हर बार करते रहे हैं। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। लेकिन आज जिस तरह ईटी (इकनॉमिक टाइम्स) ने पहले पेज पर हेडलाइन लगाई कि बाजार 1000 अंक और गिरेगा, उसने भी बाजार को तोड़ने का काम किया है। हालांकि मोतीलाल ओसवाल, सिटी और सीएलएसए जैसी ब्रोकरेज व निवेश फर्में ऑन-रिकॉर्ड कह चुकी हैं कि बाजार का मूल्यांकन बड़ा लुभावना हो गया है। आठ और एफआईआई यही बात कह चुके हैं।

लेकिन ईटी जैसा अखबार जब इस तरह की हेडलाइन लगाता है तो लोग घबराबट बाहर निकलने लगते हैं और बाजार धड़ाम से बैठ जाता है। यह एक सिलसिला है जो शुरू हो चुका है। इसका असर दो महीने में दिखाई देगा। बहुत से निवेशकों को लगता है कि हमें बिक्री की कॉल देनी चाहिए। लेकिन बिक्री की कॉल देना हमारा दर्शन नहीं है। इसलिए हम ऐसी कॉल नहीं देते। हमने खुद को बुनियादी कॉल देने तक सीमित रखा है। हम आपको बहुत-सी महंगी ए ग्रुप की कॉल देने से बचते रहे हैं। खासकर, बैंकिंग व ऑटो सेक्टर से हमने आपको दूर रखा है जो अब भी ओबरबॉट स्थिति में हैं।

खरीद की धारणा हमारी केवल रीयल्टी स्टॉक्स, आरआईएल व आईएफसीआई व आईडीबीआई बैंक जैसे सार्वजनिक उपक्रमों में रही है। ये सभी स्टॉक्स मूल्यवान हैं और बाजार की रौ में बहकर इनमें करेक्शन आया है जिस पर कुछ किया नहीं जा सकता। लेकिन इन स्टॉक्स में दम है और निवेशकों को इनमें नुकसान नहीं होगा। हम हमेशा से कहते रहे हैं कि अगर आपको बिक्री की कॉल चाहिए तो आप इन धंधे में लगे तमाम दूसरे लोगों के पीछे जा सकते हैं।

आज भी मौका था कि बाजार (निफ्टी) 5380 से 5400 तक चला जाता। लेकिन यह 5200 का स्तर तोड़कर नीचे में 5196.80 तक चला गया। हालांकि बाद में थोड़ा सुधरकर 5225.80 पर बंद हुआ। हम इस समय न तो खरीद की कॉल दे रहे हैं और न ही बिक्री की। हम तो सबसे पहले यही चाहते हैं कि आप और आपकी बचत पूरी तरह सुरक्षित रहे।

मुझे लगता है कि दुनिया की सभी बुराइयों की जड़ यह सोच है कि सत्य केवल एक है और बस हम ही सच्चे हैं, बाकी सब झूठे हैं।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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