इतने भोले भी न बनो

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  1. हर बार इंसान सोचता है बहुत कुछ बोलना है लेकिन बोल नहीं पाता, अन्तर्मन में चल रहे इसी द्वन्द के चलते जब वह मुंह खोलता है तो कहीं न कहीं गलती कर बैठता है। फिर वहीं कहता है जो आपने अपने विचार में व्यक्त किया है लेकिन जबतक वह सम्भलता है परिणाम आ चुका होता है। आपने सही कहा हर बार बोलने से पहले कई बार सोचो ताकि परिणाम इच्छित हों हो सकता है हर बार न हों लेकिन अधिकांश होॆ

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