हरकतें उनकी खुदा से कम नहीं

बॉम्बे डाईंग के साथ ऐसा क्या बुरा हो गया जो उसे इस सेटलमेंट में ठोंककर 575 रुपए से 458.75 रुपए तक पहुंचा दिया गया? आज भी यह 525.90 और 510.10 रुपए के बीच झूला  है। 2 दिसंबर से 10 दिसंबर के बीच तो इसे  575 रुपए से गिराकर 458.75 रुपए पर पटक दिया गया। इसके डेरिवेटिव के साथ भी यही हरकत हुई है। इस दरम्यान कंपनी के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जो उसके स्टॉक को इतना धक्का लगता। असली वजह कुछ और है। यह स्टॉक कुछ ऑपरेटरों के कब्जे में है और यह तो आप जानते ही होंगे कि ऑपरेटरों को अपना खेल दिखाने में सिर्फ दो दिन लगते हैं। क्या आप बीएफ यूटिलिटीज को दो दिन में ही 38 फीसदी बढ़ते हुए नहीं देख चुके हैं?

इसलिए मेरा कहना है कि ऑपरेटरों के इस खेल और बाजार की आपाधापी में अपनी सोच व धारणा पर भरोसा रखना जरूरी है। सही मूल्यांकन की अपनी गणना पर डटे रहें और बाजार आपको देर-सबेर सही दाम दे देगा। सेंचुरी टेक्सटाइल्स की बात करें तो अकेला उसका सीमेंट प्लांट ही 150 करोड़ डॉलर का है जबकि उसका मौजूदा बाजार पूंजीकरण मात्र 84 करोड़ डॉलर का है। इस तरह तो उसका कागज और रीयल्टी कारोबार मुफ्त का पड़ गया। यह असंतुलन लंबा नहीं चल सकता। बाजार जब तेजड़ियों की पकड़ में आएगा तब यह मूल्यांकन दुरुस्त होगा। और, बाजार को अंततः तेजड़ियों की पकड़ में आना ही है।

मुझे आप जैसे आम निवेशकों की बाजार में निवेश की रणनीति बड़ी दयनीय लगती है। आप लोग हमेशा तेजी के दौर में खरीद करते हैं और मंदी के दौर में बेचते हैं। डर और लालच का साया आपको हमेशा अपने आगोश में लिए रहता है। लेकिन यह आपके लिए सरासर गलत और मुठ्ठी भर लोगों के लिए सही है। अगर ऐसा नहीं होता तो बाजार के मुठ्ठी भर खिलाड़ी, जिनकी संख्या कुल निवेशकों की एक फीसदी भी नहीं है, इस तरह कमाई नहीं कर रहे होते।

यह सच है कि हमारा देश एक लोकतंत्र है। लेकिन यह भी सच है कि हमारे बाजार लोकतांत्रिक नहीं हैं। खासकर शेयर बाजार में बाजार शक्तियां नहीं, बल्कि निहित स्वार्थ वाले ऑपरेटर काम करते हैं। फिर एफआईआई, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां और बड़े-बड़े उद्योग घरानों की निवेश कंपनियां अपना खेल करती रहती हैं। ऐसे में हम बेहद सतर्क न रहें, रिसर्च आधारित मूल्यांकन व धारणाओं पर कायम न रहें तो कोई भी हमें छल सकता है। सोने को कौड़ियों के दाम और कौड़ियों को सोने के दाम बेच सकता है।

खैर, अभी तक केवल 28 फीसदी रोलओवर हुए हैं। ऐसे में आप खुद अंदाज लगा सकते हैं कि इस बेहद ओवरसोल्ड बाजार में आगे क्या होने जा रहा है। मेरा अपना मानना है कि हम जल्दी ही निफ्टी में 6500 का स्तर छूनेवाले हैं। बस, आगे-आगे देखिए होता है क्या। मेरी एक बात गांठ बांध लें कि नए साल 2011 में बी ग्रुप के स्टॉक हमारी जिंदगी बना सकते हैं।

न तो मुझे गुलाम बनना है और न ही मालिक। मुझे अपने कर्म, अपनी मेहनत का वाजिब फल चाहिए। मेरे लिए लोकतंत्र का यही अर्थ है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ हैलेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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