ऑपरेटरों की पूंजी एफआईआई को

हमें अच्छा लगता है जब लोग कहते हैं कि बाजार महंगा चल रहा है। बाजार (सेंसेक्स) जब 8000 अंक पर था, तब कोई स्पष्टता नहीं थी। तब से लेकर अब तक 18,000 अक की पूरी यात्रा के दौरान वे यकीन के साथ खरीदने के मौके नहीं पकड़ सके। इसके बजाय हर बढ़त पर वे बेचते रहे। देखिए तो सही कि इस दौरान एफआईआई की होल्डिंग 20 से घटकर 16 फीसदी और रिटेल की 10 से घटकर 8 फीसदी पर आ गई है। प्रवर्तकों समेत सरकार की होल्डिंग भी 55 से घटकर 49 फीसदी पर आ गई। लेकिन इसी दरम्यान एलआईसी व बैंकों की होल्डिंग 4 से बढ़कर 6 फीसदी और ऑपरेटरों की होल्डिंग 15 से बढ़कर 27 फीसदी हो गई।

समझने की कोशिश कीजिए कि किन लोगों ने भारतीय कंपनियों की 12 फीसदी अतिरिक्त इक्विटी हासिल कर ली है और किस मूल्य पर? अब सारी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण निकालिए और देखिए कि इन लोगों की हिस्सेदारी कितने की हो गई है। अल्पसंख्यक निवेशक से वे दूसरे नंबर पर आ गए हैं। अगर प्रवर्तकों व सरकार को हटा दें तो इनके पास सबसे बड़ी होल्डिंग है। अब इसकी तुलना एफआईआई से कीजिए। इनके पास 27 फीसदी शेयर हैं तो एफआईआई के पास केवल 16 फीसदी।

मैंने किसी को कहते हुए सुना कि 12 अरब डॉलर का आना भी बाजार को नहीं बढ़ाएगा, जबकि 4 अरब डॉलर का निकलना भी बाजार को धूल चटा सकता है। दोस्त, एफआईआई को यह 12 अरब डॉलर देनेवाला कौन है? ऑपरेटरों ने अकेले अक्टूबर 2008 में बाजार में 6 अरब डॉलर निवेश किए थे। यह वो महीना था जब एफआईआई ने सबसे ज्यादा बिकवाली की थी। वो 6 अरब डॉलर बढ़कर अब 18 अरब डॉलर हो गए हैं और वही ऑपरेटर इसका एक हिस्सा एफआईआई को उपलब्ध करा रहे हैं। इसमें बड़ी बात क्या है? हमने 12 अरब डॉलर का जबरदस्त मुनाफा बनाया है जो अब तुम्हारी पूंजी बन गया है। क्या तुम हमें मात दे सकते हो? कतई नहीं।

एफआईआई अब भी भारी कैश के भंडार पर बैठे हैं। घरेलू संस्थाओं (डीआईआई) के पास भरपूर कैश है। भारत सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ता देश बन गया है जिसे कोई भी फंड अनदेखा नहीं कर सकता। चीन भी भारत की तुलना में धीमा पड़ रहा है। अपेक्षाकृत छोटा आधार भारत की विकास दर को चीन से आगे ले जाएगा। यह सब किसी लॉलीपॉप से कम नहीं। आप बाजार के महंगे होने की बात करते हैं। लेकिन आपके पास विकल्प क्या है?  अमेरिकी बाजार 3 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा की नकद तरलता से ठंसा पड़ा है। यही हाल यहां है। रीयल्टी सेक्टर अगले तीन सालों में दोगुना होने जा रहा है क्योंकि भारत सरकार ने समावेशी विकास के नए दरवाजे खोल दिए हैं। डायरेक्ट टैक्स कोड लागू होने के बाद हम एक करोड़ रुपए के घरों की मांग में बड़ी तेजी देख सकते हैं और यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सुखद है।

कृपया हाल-फिलहाल उन सभी शेयरों को नजरअंदाज कीजिए जिनका पीई अनुपात 15 से ऊपर है। आप हाथों में टॉर्च लेकर देखिए तो पाएंगे कि 70 फीसदी कंपनियां अब भी 5 से 10 पीई पर ट्रेड हो रही हैं और ये सभी आपको 100 फीसदी रिटर्न दे सकती हैं। कैम्फर 7 पीई पर है तो विंडसर 5 पीई पर। इनमें निवेश में चूक कैसे संभव है? लेकिन आप तो लगता है कि ए ग्रुप के शेयरों और उनके एफ एंड ओ सेगमेंट में सट्टेबाजी करने के लिए पैदा हुए हैं तो आप एफ एंड ओ का असली मतलब खोजते रहिए जिसके बारे में हम यहां नहीं बता पाएंगे।

राकेश झुनझुनवाला को आज का सबसे बड़ा तेजड़िया माना जाता है। उन्होंने कभी भी एफ एंड में न तो किस्मत आजमाई, न ही वहां से पैसा बनाया। आरजे ने केवल डिलीवरी आधारित सौदों और सही स्टॉक के चयन से पूंजी बनाई है। आज तो मां भी अपने नवजात बच्चे को मुफ्त में दूध पिलाने से हिचकिचाती है तो आप उन सटोरिया सौदों से कैसे अपनी किस्मत चमकाने की उम्मीद कर सकते हैं जो अभी तक ठीक से परिभाषित नहीं हैं और जिनमें छोटे निवेशकों के लिए कोई सुरक्षा नहीं है! एक बात का हमारी टीम को पूरा यकीन है कि बाजार (सेंसेक्स) 26,000 अंक तक जाएगा और वह भी साल 2011 के भीतर। हो सकता है कि यह बात आपको जल्दी शेयर चुनने में मदद कर दे।

शिक्षा कोई भी फैसला सलीके से लेने में मदद करती है। यह बात शेयर बाजार के फैसलों पर भी लागू होती है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ हैलेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

1 Comment

  1. I am sorry but acording to my information Rakesh Jhunjhunwala gained his most profit from forward market during 1986-1989 His first major successful bet was iron ore mining company Sesa Goa.He bought 4 lakh shares of Sesa Goa in forward trading, worth Rs 1 crore and sold about 2-2.5 lakh shares at Rs 60-65 and another 1 lakh at Rs 150-175. The prices then went up to Rs 2200 and he sold some shares.

    but I agree from you that no ordinary investor can gain from FnO except Rakesh Jhunjhunwala.

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