देश में दलहन की घरेलू मांग और पूर्ति के अंतर को पाटने के लिए अभी लम्बे प्रयास की जरूरत है और इस साल हमें दालों का आयात करना पड़ सकता है। यह कहना है केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार का। राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निदेशकों के सालाना सम्मेलन के दौरान पवार ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि, “अनाज उत्पादन हो या फल-सब्जी, हमारा प्रदर्शन बहुत अच्छा है। लेकिन दाल उत्पादन बढाने के लिए प्रयास बढाने की जरूरत है।’’
इस साल घरेलू दलहन उत्पादन 1.65 से 1.7 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। कृषि मंत्री ने कहा कि इसके बावजूद आपूर्ति थोड़ी कम पड़ेगी और इसकी भरपाई संभवतः आयात के जरिए करनी पड़ सकती है।’’ पवार के बयान के साथ दिक्कत यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दालों की उपलब्धता सीमित है और भारत जैसे बड़े खरीदार की मांग निकलते ही वहां दाम अपने-आप बढ़ जाते हैं। और, पवार ने अभी से इसकी भूमिका अपनाकर विदेशी विक्रेताओं की मदद कर दी है। पवार साहब विश्व बाजार में चीनी के दाम भी इसी तरह उठाने-गिराते रहते हैं।
बता दें कि 2009-10 में देश में दलहन का उत्पादन 1.4 करोड़ टन था, जबकि सलाना घरेलू मांग 1.8 करोड़ टन रही थी। 2010-11 में दलहनों का घरेलू उत्पादन बढ़कर 1.82 करोड़ टन हो गया था। शरद पवार ने कहा कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में इस बार गेहूं की ‘येलो रस्ट’ बीमारी के फैलने की रिपोर्ट जरूरी है। लेकिन इससे प्रभावित गेहूं उत्पादन के बारे में कोई चिंता की बात नहीं है। यह बीमारी इतनी गंभीर नहीं है कि इससे उपज प्रभावित हो।
उन्होंने कहा ,‘‘मैं गेहूं उत्पादन के बारे में बिल्कुल चिंतित नहीं हूं क्योंकि हालात अच्छे हैं। उत्पादन के संबंध में जो भी आकलन हमने किया है उसमें बढ़ोतरी ही होगी। मुझे कोई आशंका नहीं है कि कोई समस्या होगी।’’ ताजा आकलन के मुताबिक फसल वर्ष, जुलाई से जून 2011-12 में गेहूं का उत्पादन रिकॉई 8.83 करोड़ टन होने की उम्मीद है जो पिछले वर्ष में 8.68 करोड़ टन था। मंत्री महोदय ने कहा कि पिछले दो साल में विशेष तौर पर पूर्वी राज्यों में जो नीतिगत पहल की गई है, उसके कारण इस साल देश का कुल अनाज उत्पादन बढ़कर 25 करोड़ टन हो जाने की उम्मीद है।
पवार ने कहा, ‘‘उत्पादन के मौजूदा स्तर के साथ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक की जरूरतों को पूरा करने में कोई मुश्किल नहीं होगी।’’ इस विधेयक के प्रस्तावों के मुताबिक देश की 63.5 फीसदी आबादी को सस्ती दर पर अनाज मुहैया कराने का लक्ष्य है। हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि अनाज उत्पादन में निरंतरता होनी चाहिए ताकि प्रस्तावित खाद्य कानून को लागू रखा जा सके।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी चिंता है निरंतरता। ज्यादा अनाज उत्पादन की स्थिति को बरकरार रखना। निरंतरता के लिए हमें कृषि में और निवेश करने की जरूरत है।’’ जिस साल फसल खराब हो, उस दौरान एहतियाती कदम उठाने की जरूरत है। चीनी क्षेत्र के बारे में पवार ने कहा कि चीनी के मौजूदा उत्पादन स्तर पर निर्यात जरूरी है ताकि किसानों को अच्छी कीमत मिल सके।