भाव फिसलते हैं हाथ से जैसे मछली

वित्तीय बाज़ार शायद इकलौती जगह है जहां माल के भाव दिनों में नहीं, मिनटों में बदल जाते हैं। दिखते हैं कि भाव तय हैं। मगर, जैसे ही आप खरीदने चलते हो, वो मछली की तरह हाथ से सरक जाते हैं। फुटकर खरीदने या बेचनेवालों से खास फर्क नहीं पड़ता। लेकिन जब बैंक या संस्थाएं करोड़ों के सौदे करती है तो उनके खरीदते-खरीदते ही भाव उछल जाते हैं। खासकर स्मॉल-कैप या मिडकैप स्टॉक्स। अब आजमाएं बुधवार की बुद्धि…

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