रिजर्व बैंक वित्तीय साक्षरता के बारे में बैंकों की तरफ से की जा रही पहल की धीमी रफ्तार से नाखुश है। उसने सभी बैंकों के शीर्ष अधिकारियों को बाकायदा एक अधिसूचना भेजकर याद दिलाया है कि दो साल पहले 4 फरवरी 2009 को बैंकों वित्तीय साक्षरता व क्रेडिट सलाह केंद्र (एफएलसीसी) बनाने की मॉडल स्कीम के बारे में सर्कुलर भेजा गया था।
इस मॉडल स्कीम में प्रावधान था कि वित्तीय साक्षरता के अधिकतम विस्तार के लिए ब्लॉक, जिले, शहर व कस्बे जैसे सभी स्तरों पर एफएलसीसी का गठन किया जाए। बैंकों से उम्मीद थी कि वे इस काम में बढ़-चढ़ कर उत्साह दिखाएंगे। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हुआ है।
रिजर्व बैंक का कहना है कि देश में अभी तक खोले गए ऐसे केंद्रों की संख्या बहुत कम है और कुछ राज्यों में इनके खोले जाने की रफ्तार अपेक्षा के अनुरूप नहीं है। इसलिए इन राज्यों से बराबर शिकायतें आ रही हैं कि वहां एफएलसीसी की संख्या अपर्याप्त है।
इतना कहने के बाद रिजर्व बैंक ने निर्देश के अंदाज में कहा है कि एफएलसीसी वित्तीय समावेश का अभिन्न हिस्सा हैं और इसलिए जरूरी हो जाता है कि ऐसे और ज्यादा केंद्र खोले जाएं। इसलिए बैंकों को मॉडल स्कीम के तहत एफएलसीसी बनाने की प्रक्रिया तेज करनी होगी।
Sawai
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