जानलेवा पड़ा गैस का सरकारी चाबुक

पटनी कंप्यूटर्स को छोड़ दें तो अभी तक कुल तीन चिरकुट किस्म की कंपनियों ने मार्च तिमाही के नतीजे घोषित किए हैं। असली सिलसिला शुक्रवार, 13 अप्रैल को इनफोसिस के नतीजों के साथ शुरू होगा। चौथी तिमाही के नतीजे बाजार की दशा-दिशा तय करने का मुख्य आधार बनेंगे। हां, इससे भी बड़ा ट्रिगर ठीक हफ्ते भर बाद आनेवाली रिजर्व बैंक की सालाना मौद्रिक नीति होगी। लेकिन लगता है जैसे बाजार अपना दम खो चुका है और उठने के लिए संघर्ष कर रहा है। कल सेंसेक्स 1.51 फीसदी और निफ्टी 1.66 फीसदी गिरावट का शिकार हो गए। आज भी दोपहर एक बजे तक हिचकोले खाने के बाद बाजार थोड़ा संभला। सेंसेक्स 0.13 फीसदी की बढ़त के साथ 17243.84 और निफ्टी 0.18 फीसदी की बढ़त के साथ 5243.60 पर बंद हुआ है। निफ्टी जब तक 5300 को पार नहीं करता, तब तक आगे की दिशा साफ नहीं होगी। निफ्टी फ्यूचर्स का आखिरी भाव आज 5264.40 रहा है।

विश्लेषकों को अंदेशा है कि इनफोसिस का प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) मार्च तिमाही में 40.53 रुपए के अनुमान से थोड़ा कम रहेगा। दूसरे अमेरिका में पिछले हफ्ते रोजगार के खराब आंकड़ों के बाद अंदेशा है कि एच-1बी वीज़ा को लेकर समस्या आ सकती है। ऐसी ही चिंताओं के बाद इनफोसिस का शेयर आज 1.63 फीसदी गिरकर 2776.80 रुपए पर बंद हुआ है। एक तथ्य और गौर करने लायक है कि एफआईआई ने जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान इनफोसिस में अपना निवेश बढ़ा दिया है। दिसंबर 2011 तक उनके पास कंपनी के 37.36 फीसदी शेयर थे, जबकि मार्च 2012 तक यह हिस्सा 39.02 फीसदी तक पहुंच चुका है। इसका मतलब यह कि इनफोसिस गिरे तो उसे खरीदने की रणनीति अपनानी चाहिए। ध्यान दें कि इनफोसिस में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी केवल 16.04 फीसदी है।

आज प्राकृतिक गैस से जुड़ी कंपनियों पर भयंकर दबाव नजर आया। असल में दिल्ली में पीएनजी नियामक बोर्ड ने इंद्रप्रस्थ गैस को निर्देश दिया है कि वह कुछ गैसों की कीमत घटा दे ताकि उपभोक्ताओं पर दबाव कम हो सके। लेकिन इस झटके से इंद्रप्रस्थ गैस के शेयर कल के बंद भाव 346.40 रुपए से एकबारगी 33.66 फीसदी टूटकर 229.80 रुपए पर जा टिके। यही नहीं, दिन में वो 170 रुपए पर 52 हफ्ते का नया न्यूनतम स्तर बना गया। यह 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दिखाता है। यही नहीं गैस के धंधे से जुड़ी दूसरी कंपनियों – गैल इंडिया, गुजरात गैस, पेट्रोनेट एलएनजी और गुजरात स्टेट पेट्रोनेट के स्टॉक्स पर भी इसकी अच्छी-खासी धमक नजर आई। वैसे, इंद्रप्रस्थ गैस एफ एंड ओ सेगमेंट में है। इसलिए उसमें ऑपरेटरों के खेल से इनकार नहीं किया जा सकता।

नोमुरा सिक्यूरिटीज ने एक नोट में कहा है कि गैस की कीमत में ऐसी जबरदस्त कटौती से इंद्रप्रस्थ गैस के बारे में चिंता पैदा हो गई है। इससे उन क्षेत्रों में भी सरकार का दखल बढ़ सकता है, जहां तक अभी उसके हाथ नहीं पहुंचे हैं। बाजार में एक और डर छाया हुआ है कि रेटिंग एजेंसियां भारत को डाउनग्रेड कर सकती हैं। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स, मूडीज़ और फिच ने आज से भारत की रेटिंग की समीक्षा का काम शुरू किया है। वो इस सिलसिले में वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों से मिल रही हैं।

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