फंसेंगे बाजार की लय को तोड़नेवाले

बाजार तलहटी पकड़ चुका है। निराशा अपने चरम पर पहुंच चुकी है। निवेशक फिलहाल स्टॉक्स से कन्नी काट रहे हैं। इनमें भी जो छोटे निवेशक हैं वे डेरिवेटिव सेगमेंट में मार्क टू मार्केट की अदायगी के लिए जो कुछ भी पास में है, उसे बेचे जा रहे हैं। मैं कल आम निवेशकों के मूड का पता लगाने के लिए गुजरात में तीन छोटी जगहों पर गया था। मैंने पाया कि यह बात उनके मन में कहीं गहरे पैठ गई है कि बाजार (निफ्टी) मार्च अंत तक 4700 तक चला जाएगा। 97 फीसदी लोग इसी राय के हैं और वे बड़ी मेहनत से खरीदे गए स्टॉक्स को बेच रहे हैं ताकि बाजार के 4700 पर पहुंचने पर फिर से गिरे भावों पर खरीद कर सकें।

ट्रेडर बड़े पैमाने पर शॉर्ट हैं और वे इन शॉर्ट सौदों को कवर करने के मूड में भी नहीं हैं। ओपन इंटरेस्ट महज इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि कॉल्स व ऑप्शंस में विपरीत पोजिशन बनी हुई है। वोलैटैलिटी या बाजार में ऊंच-नीच का सूचकांक 27 फीसदी के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुका है। ऑप्शंस में पुट-कॉल सौदों का अनुपात (पीसीआर) एक फीसदी से नीचे हैं। ये सारे संकेतक यही दिखा रहे हैं कि बाजार में किस कदर निराशा छाई हुई है। लेहमान संकट के बाद जो हालात थे, उसी अंदाज में इस बार भी एफआईआई व डीआईआई की कोई दिलचस्पी बाजार को सहारा देने में नहीं है।

दूसरी तरफ कुछ सकारात्मक चीजें हुई हैं। जेपीसी बन जाने का मतलब है कि 2जी स्प्रेक्ट्रम घोटाले का मामला अब पीछे चला जाएगा। मुद्रास्फीति नीचे आ रही है। रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और बीपी का करार दिखाता है कि बाजार किस तरह बद से बदतर सोच को जज्ब कर चुका है। बाजार के जो उस्ताद लोग सेंसेक्स को लेहमान संकट के बाद तकरीबन एक महीने तक 8000 से 8400 के बीच बांधे रहे थे, वहीं लोग अब निफ्टी के 5400 से 5500 के स्तरों पर सक्रिय हैं। इससे आप जो भी समझना चाहें, समझ सकते हैं।

बाजार बजट को लेकर भले ही उहापोह में हो, लेकिन मुझे लगता है कि सरकार की प्राथमिकताएं बड़ी साफ हैं और बजट में कई सकारात्मक घोषणाएं होनेवाली हैं। इसलिए मैं मानता हूं कि बजट के बाद केवल उन्हीं लोगों की तरफ से थोड़ी बिकवाली हो सकती है जो बजट को कतई नहीं समझते, पर जबरस्ती बेचकर बाजार की लय को तोड़ने में यकीन रखते हैं। पूरे आसार इस बात के हैं कि ऐसे लोग बजट के बाद फंस जाएंगे और बाजार तेजी से यू-टर्न लेगा। संभावना इस बात की है कि बाजार (सेंसेक्स) दो महीनों के भीतर 20,000 तक जा सकता है क्योंकि 99 फीसदी लोग मानते हैं कि तेजी का नया दौर जून से शुरू हो सकता है।

हमारे शेयर बाजार में उद्योग की सबसे बेहतर स्थिति को भी गच्चा देने की भरपूर क्षमता है। यह तब गिरा, जब इस धरती का कोई भी शख्स गिरावट या करेक्शन नहीं चाहता था। इसलिए हो सकता है कि यह तब बढ़ जाए जब कोई इसे बढ़ते नहीं देखना चाहता। यह भारतीय बाजार है। आप कभी नहीं जान पाते कि यह किस करवट बैठेगा? दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह सबसे अच्छा वक्त है कि वे बाजार की मौजूदा कमजोरी का फायदा उठा लें। मेरी सलाह है कि आप लंबी अवधि के लिए कैम्फर एंड एलायड प्रोडक्ट्स, गिलैंडर्स, विंडसर मशींस, आईएफसीआई, आईडीबीआई बैंक, सेंचुरी टेक्सटाइल्स, बॉम्बे डाईग और लार्सन एंड टुब्रो वगैरह को खरीद सकते हैं।

सुरंग के दूसरे छोर से सूरज की रौशनी का दिखना इस बात का साफ संकेत है कि भयावनी रात अब खत्म होनेवाली है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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