बीटा संभालो नहीं तो बनेगा डेल्टा

बहुत से निवेशक अभी तक मार्क टू मार्केट के दबाव और विशेषज्ञों की सलाहों के आगे घुटने टेक चुके हैं और बाजार से बहुत कुछ बेच-बाच कर निकल गए हैं। ब्रोकर उन्हें अब भी समझा रहे हैं कि हर बढ़त उनके लिए राहत का मौका है और ऐसे हर मौके पर उन्हें बेचकर निकल लेना चाहिए। अच्छा है क्योंकि आपका इम्तिहान चल रहा है। अब, ऐसा तो नहीं हो सकता कि आप हर बार उम्मीद करें कि कोई आपको बचा ले जाएगा, खासकर तब जब आपको हम पर जितना भरोसा होना चाहिए, उसमें आप कोताही कर रहे हों।

हम बाजार में तेजी की राय पर एकदम टिके हुए हैं। अभी की राजनीतिक अनिश्चितता जल्दी ही राजनीतिक स्थायित्व में ढल जाएगी और उसके बाद आपकी एंट्री और भाग्य का फैसला हो चुका है। हम पिछले हफ्ते से लगातार बताने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री के इस्तीफे की कोई गुंजाइश नहीं है। कुछ लोग जानबूझ कर इस तरह की अफवाह को हवा दे रहे हैं। हकीकत यह है कि कांग्रेस 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की विपक्ष की मांग को भी स्वीकार कर सकती है क्योंकि इसमें कांग्रेस का ज्यादा फायदा है, जबकि डीएमके की ही थू-थू होगी।

बाजार (निफ्टी) इस हफ्ते गुरुवार को 6100 से 6200 के दायरे के इर्दगिर्द बंद होगा। वैसे भी, बाजार हर बढ़त पर पुराने सौदों को काटने और नए शॉर्ट पोजिशन बनाने के चलते धीरे-धीरे उठ रहा है। तेजड़िए यही चाहते हैं क्योंकि ऐसा होने पर ही वे बुधवार और गुरुवार को पार्टी मना सकते हैं।

मैं रीयल्टी स्टॉक्स को लेकर तेजी की धारणा रखता हूं और किसी भी सूरत में मेरी यह राय बदल नहीं सकती। ऑटो में पिछले साल मेरी धारणा तेजी की थी, जबकि ऑटो एसिलरी को लेकर 2007 और 2008 में मेरी ऐसी ही राय थी। हम इन सेक्टरों में तेजी का दौर देख चुके हैं। अब सीमेंट, स्टील, माइनिंग, फर्टिलाइजर, शुगर, इंफ्रास्ट्रक्चर और रीयल्टी सेक्टरों को कोई बढ़ने से नहीं रोक सकता हालांकि अधिक बीटा और उद्योग के स्वभाव के चलते इनमें भारी उतार-चढ़ाव चलता रहेगा। बीटा वह अनुपात है कि जो बताता है कि सूचकांक की चाल से किसी स्टॉक की गति का क्या वास्ता है। बीटा कम है तो सूचकांक की तुलना में स्टॉक के भाव कम उठते-गिरते हैं, जबकि बीटा के अधिक होने पर सूचकांक जितना उठता-गिरता है उससे कई गुना घट-बढ़ संबंधित स्टॉक में हो जाती है।

डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट नहीं है तो ऑपरेटर अपनी पोजिशन के आधार पर भाव बदलते रहते हैं। इसी तरीके से वे आइडिया, एडुकाम, भारती और हीरो होंडा के भाव चढ़ाते और तमाम दूसरे स्टॉक्स के भाव दबाते रहे हैं। इसीलिए कमजोर खिलाड़ियों के लिए फ्यूचर्स में हाथ डालना हमेशा खतरनाक होता है क्योंकि तब आप खुद को ज्यादा मार्जिन के हवाले कर रहे होते हैं और मार्क टू मार्केट की व्यवस्था आपको किनारे लगा देती है। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप कैश बाजार के निवेश तक खुद को सीमित रखें क्योंकि इसमें आपका जोखिम, आपका एक्सपोजर कम रहता है।

अभी तक नवंबर निफ्टी में वोल्यूम 1.28 लाख शेयरों का है और दिसंबर निफ्टी में 34 लाख शेयरों का। यह दिखाता है कि अब भी निफ्टी में बहुत कम रोलओवर हुआ है। लॉर्ज कैप शेयरों में कमजोरी दिख रही है और स्मॉल कैप में बिकवाली का आलम है। लेकिन इसकी वजह यह नहीं कि निवेशकों पर मंदी की छाया पड़ गई है, बल्कि असल में मार्क टू मार्केट की भरपाई के लिए उन्हें बी ग्रुप के शेयर बेचने पड़ रहे हैं।

प्रतिकूलताओं के इस्तेमाल का अपना अलग आनंद है और कामयाबी के लिए यह आनंद जरूरी है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ हैलेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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