सेंसेक्स है अभी 18% डिस्काउंट पर

आप सभी को नया साल मुबारक। बीते साल जिस दुख और तकलीफ से आप गुजरे हैं, उसकी कोई भी अनदेखी नहीं कर सकता। ऊपर से गिरावट का शोर थमा नहीं है। निफ्टी के और गिरकर 4200 व 3800 पहुंचने के अनुमान भले ही मूलभूत आर्थिक पहलुओं पर खरे न उतरते हों, लेकिन चार्टों और टेक्निकल एनालिसिस का सहारा लेकर अब भी यही भोंपू बजाया जा रहा है।

सरकार ने विदेशी निवेशकों को भारतीय कंपनियों में शेयर हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति देने की घोषणा कर दी है। इसका मतलब यह हुआ कि जिन भी कंपनियों का मूल्यांकन काफी नीचे आया हुआ है, उनमें कोई भी विदेशी निवेशक धीरे-धीरे बड़ी हिस्सेदारी हासिल कर सकता है। इससे दबे हुए शेयरों के भाव तो बढ़ेंगे ही, ऐसी कंपनियों पर जबरन अधिग्रहण का खतरा भी मंडराने लगेगा। यह शेयरों के मूल्य और बाजार को उठने के लिए अच्छा दूरगामी फैसला है।

छोटी अवधि की बात करें तो सरकार ने तय किया है कि एकाउंटिंग से जुड़े एएस 11 मानकों के तहत कंपनियां अब विदेशी मुद्रा में हुए नुकसान को लाभ-हानि खाते के बजाय बैलेंस शीट में ले जा सकती हैं। इसका असर यह होगा कि कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे बाजार की अपेक्षा से काफी बेहतर होंगे। यह बाजार के रुख पलटने का सबब बन सकता है।

एक तो तीसरी तिमाही का विदेशी मुद्रा नुकसान नतीजों में दर्ज नहीं होगा क्योंकि वह बैलेंस शीट में चला जाएगा। दूसरे, दूसरी तिमाही में विदेशी मुद्रा का जो नुकसान दर्ज किया गया था, वह अब निकाल लिया जाएगा। इससे तीसरी तिमाही के नतीजे और भी बेहतर हो जाएंगे। इससे सेंसेक्स कंपनियों का लाभार्जन कम से कंम 10,000 करोड़ रुपए की भारी बढ़त ले सकता है क्योंकि दूसरी तिमाही में इनमें 8000 करोड़ रुपए का नुकसान दिखाया गया था। इसलिए शेयरों के भावों में यू-टर्न आने की पूरी संभावना है।

24 जनवरी को रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही समीक्षा पेश करेगा और इस बार वह ब्याज दरों में कटौती को टाल नहीं सकता। 15 फरवरी को कंपनियों के तिमाही नतीजों का मौसम खत्म होगा। ये नतीजे, जैसा कि हम बता चुके हैं, उम्मीद से बेहतर रहेंगे। फरवरी राज्यों के चुनाव और बजट का भी महीना है। इस सारे घटनाचक्र से यही लगता है कि बाजार को चालू जनवरी माह से बढ़ना शुरू कर देना चाहिए। आज निफ्टी बढ़कर खुला। लेकिन दस बजते-बजते नीचे चला गया। ढाई बजे के आसपास बढ़ना शुरू हुआ तो 12.45 अंकों की मामूली बढ़त के साथ 4636.75 पर बंद हुआ है।

मैं एक बार फिर आप सभी लोगों से कहना चाहता हूं कि भरोसा रखें और सबसे बुरा दौर देख चुकने के बाद भी अपना निवेश बरकरार रखें। अगर आप इस वक्त बाजार से निकल गए तो निफ्टी के 6000 पर पहुंचने से पहले फिर से घुस पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसलिए निवेश बनाए रखें।

मूल्याकंन के लिहाज से वित्त वर्ष 2012-13 में सेंसेक्स का मूल्य 18,900 निकलता है, जबकि हम अभी 15,500 पर हैं। यह सीधे-सीधे 18 फीसदी का डिस्काउंट है। यह डिस्काउंट तो सूचकांक पर है। अलग-अलग स्टॉक्स में तो यह डिस्काउंट न जाने कितना होगा! यह कीमत चुका रहे हैं हम निराशावाद की। यह कीमत है धांधली व जोड़तोड़ और घरेलू व विदेशी निवेशकों में किए जा रहे भेदभाव की।

अपनी बुराइयों से हमेशा लड़ते रहें, पड़ोसियों से शांति बनाए रखें और हर नए साल को अपने भीतर से एक बेहतर इंसान को निकालने का मौका दें।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)

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