डाउ सिद्धांत का नया रूप यह है कि शेयर बाज़ार में मार्क-अप, डिस्ट्रीब्यूशन और मार्क-डाउन के तीन दौर होते हैं। मार्क-अप में सबसे पहले समझदार निवेशक व कंपनियों के अंदर के लोग एंट्री लेते हैं। इसके बाद बैंक, वित्तीय संस्थाएं व प्रोफेशनल ट्रेडर घुसते हैं। म्यूचुअल फंड सबसे अंत में आते हैं। डिस्ट्रीब्यूशन के दौर में रिटेल ट्रेडर घुसते हैं। मार्क-डाउन में समझदार सबसे पहले और म्यूचुअल फंड सबसे बाद में निकलते हैं। अब गुरु की दशा-दिशा…
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'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
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