शेयर बाजार के बारे में एक सिद्धांत नहीं, बल्कि परिकल्पना है जिसके मुताबिक, कोई भी निवेशक न तो दबे हुए मूल्य के स्टॉक को खरीद सकता है और न ही बढ़े हुए मूल्य के स्टॉक को बेच सकता है। इसे ईएमएच, एफिशिएंट मार्केट हाइपोथिसिस कहते हैं जिसे हम हिंदी में कुशल बाजार परिकल्पना कह सकते हैं। यह परिकल्पना सस्ते में खरीदो, महंगे में बेचों के सूत्र के परखचे उड़ा देती है। कहती है कि कोई भी निवेशकऔरऔर भी

यह सच है कि अंग्रेजी भाषा ने हम भारतीयों को दुनिया से लेने के काबिल बना रखा है। लेकिन आगे बढ़ने के लिए अंग्रेजी सीखने का दबाव न होता तो शायद हम लेने के बजाय दुनिया को दे रहे होते।और भीऔर भी

दुनिया में दिवसों के नाम पर बहुत से चोचले चल गए हैं। इसी में शामिल है वर्ल्ड हैबिटैट दिवस जो किसी तारीख को नहीं, बल्कि हर साल अक्टूबर महीने के पहले सोमवार को मनाया जाता है। चूंकि यह संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्था की देन है और भारतीय जनमानस इसे पचा नहीं पाया है, इसलिए इसके लिए हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं में कोई शब्द नहीं बन पाया है। सरकार इसे विश्व पर्यावास दिवस कहती है। हैबिटैटऔरऔर भी

जब हर तरफ देश के अर्थ, व्यापार व वित्त जगत पर अंग्रेजी का आधिपत्य हो तो यह जरूरी हो जाता है कि हम हिंदी या दूसरी भारतीय भाषाओं की संभावनाओं और स्वाभिमान को जगाते रहे। यह जो खबर आप ठीक बगल में नवा जूनी में देख रहे हैं, इसे इकोनॉमिक टाइम्स ने आज अपनी लीड बनाई है। लेकिन हमने यह खबर साल भर पहले ही पेश कर दी थी। इससे मैं यकीकन एक आश्वस्ति का भाव अपनेऔरऔर भी

ब्रिटिश शासन में साल 1833 में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट पारित हुआ तो लॉर्ड मैकॉले को गवर्नर जनरल की काउसिंल का पहला लॉ मेंबर बनाया गया। 1834 में मैकॉले भारत आया तो उसने पाया कि ब्रिटिशों के लिए इस बेहद सभ्य व स्वतंत्र देश पर तब तक नियंत्रण पाना मुश्किल होगा जब तक यहां के अवाम का मनोबल न तोड़ दिया जाए। इसी के बाद उसने ऐसे लोगों का वर्ग बनाने की बात कही जो रक्त औरऔरऔर भी