आप बुद्धिमान हैं, अच्छी बात है। लेकिन क्या आप बुद्धिमानी से दुनिया को देख रहे हैं? शायद नहीं, क्योंकि इसके लिए काफी अध्ययन, मनन और ज्ञान की जरूरत है। इसलिए बुद्धिमान होने से ज्यादा महत्वपूर्ण है जीवन को बुद्धिमानी से देखना व जीना।और भीऔर भी

यहां-वहां, जहां-तहां, मत पूछो कहां-कहां। हर जगह शेयरों को खरीदने की जितनी भी सलाहें होती हैं, वे किसी न किसी ब्रोकरेज फर्म या उनकी तनख्वाह पर पल रहे एनालिस्टों की होती हैं। अगर कोई खुद को स्वतंत्र विश्लेषक भी कहता है तो उनकी अलग प्रोपराइटरी फर्म होती है जिससे वह खुद निवेश से नोट बना रहा होता है। क्या इन तमाम बिजनेस चैनलों या समाचार पत्रों में एनालिस्टों या ब्रोकरों की दी गई सलाहों पर भरोसा कियाऔरऔर भी

पिछले दो साल में भवन निर्माण की लागत 18 फीसदी बढ़ गई है। यह कहना है रीयल एस्टेट क्षेत्र पर नजर रखने वाली ऑनलाइन डाटा व विश्लेषण फर्म प्रॉपइक्विटी का। इससे रीयल एस्टेट के कामकाज पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। प्रोपइक्विटी के एक अध्ययन मुताबिक 2009 से 2011 के बीच सीमेंट, स्टील, मजदूरी और ईंट जैसी चार प्रमुख चीजों के महंगा होने से निर्माण लागत में कुल 18 फीसदी वृद्धि हो गई है। इस तरह लागत बढ़ जानेऔरऔर भी

खिड़की-दरवाजे सारे बंद। फिर भी छिपे से छिपे कोने तक में धूल आ ही जाती है। धूल न भी दिखे तो लाखों जीवाणु घर किए रहते हैं। इसलिए हर दिन सफाई जरूरी है। हर दिन मनन जरूरी है, अध्ययन जरूरी है।और भीऔर भी

बाबा रामदेव के दबाव में सरकार द्वारा काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने पर विचार के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति की पहली बैठक इसी हफ्ते होने की उम्मीद है। लेकिन जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रोफेसर अरुण कुमार का कहना है कि काले धन के खिलाफ कार्रवाई में समितियों और अध्ययन के बहाने देरी से भ्रष्ट नेताओं, व्यापारियों व नौकरशाहों को अपना अवैध धन दिखावटी कंपनियों में लगाने का मौका मिल जाएगा। जेएनयू मेंऔरऔर भी

ऑफिस में देर तक काम करने वाले अब सावधान हो जाएं। एक नए अध्ययन में पता चला है कि दफ्तरोम में निर्धारित से अधिक समय तक काम करने से कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है और दिल का दौरा पड़ने की नौबत आ सकती है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में किए गए एक नए अध्ययन के मुताबिक, सात या आठ घंटे काम करने वालों के मुकाबले जो व्यक्ति 11 घंटे से अधिक समय तक कामऔरऔर भी

हम सब रहते तो एक आकाश के नीचे हैं। लेकिन सबका क्षितिज एक नहीं होता। कोई कहीं तक देख पाता है तो कोई कहीं तक। हम चाहें तो अध्ययन, चिंतन व मनन से अपना क्षितिज बढ़ा सकते हैं।और भीऔर भी

पिछले आठ सालों में देश की कुल आबादी में निम्न आय वाले परिवारों का हिस्सा घटा है और उच्च आय वाले परिवारों का हिस्सा बढ़ा है। एनसीएईआर के एक ताजा अध्ययन के अनुसार 2001-02 में निम्न आय वाले परिवारों का हिस्सा 34.6 फीसदी था, जो 2009-10 में घटकर 17.9 फीसदी रह गया। इसी दौरान मध्यम आय वाले परिवारों की संख्या 58 फीसदी (14.07 करोड़) से बढ़कर 61.6 फीसदी (22.84 करोड़) हो गई। साथ ही उच्च आय वर्गऔरऔर भी

साल 2009 के अंत तक देश में सक्रिय गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की संख्या 33 लाख थी। कुल आबादी 120 करोड़ मानें तो हर 365 भारतीय पर एक एनजीओ। इसमें केवल पंजीकृत एनजीओ शामिल हैं। सीधा-सा मतलब है कि देश में अवाम से जुड़ने का एक बड़ा तंत्र सरकार के समानांतर बन चुका है। सबसे ज्यादा 4.8 लाख एनजीओ महाराष्ट्र में हैं। इसके बाद आंध्र प्रदेश में 4.6 लाख, उत्तर प्रदेश में 4.3 लाख, केरल में 3.3 लाख,औरऔर भी

जो चीज जैसी लगती है, वैसी होती नहीं। आंखों के रेटिना पर तस्वीर उल्टी बनती है, दिमाग उसे सीधा करता है। इसी तरह सच समझने के लिए बुद्धि की जरूरत पड़ती है जो अध्ययन, अभ्यास और अनुभव से ही आती है।और भीऔर भी