अगर स्वास्थ्य बीमा सभी के लिए अनिवार्य कर दी जाए और शिक्षा शुल्क की तरह सभी से इसका प्रीमियम लिया जाए तो कैसा रहेगा! यह सुझाव दिया गया है कि उद्योग संगठन फिक्की और बीमा कंपनी आईएनजी इंश्योरेंस द्वारा गठित फाउंडेशन फोर्टे (फाउंडेशन ऑफ रिसर्च, ट्रेनिंग एंड एजुकेशन इन इंश्योरेंस इन इंडिया) के एक ताजा अध्ययन में। बता दें कि जर्मनी समेत तमाम यूरोपीय देशों में अनिवार्य स्वास्थ्य बीमा का प्रावधान है। इसका प्रीमियम नौकरीपेशा लोगों केऔरऔर भी

प्रधानमंत्री से लेकर वित्त मंत्री तक भले ही लघु उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र का गुणगान करते रहते हैं। लेकिन कड़वी सच्चाई यह है कि सरकार अपनी सालाना 1,70,000 करोड़ रुपए की खरीद में से महज 4.5 फीसदी एमएसएमई क्षेत्र से खरीदती है। ऐसी हालत में सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय ने जोर दिया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अपनी जरूरत की कम से कम 20 फीसदी खरीद लघु व मझोली इकाइयों से करनी चाहिए।औरऔर भी

हर लिस्टेड कंपनी की वेबसाइट एकदम चौकस और अपडेट होनी चाहिए। नए वित्त वर्ष 2011-12 के पहले दिन यानी 1 अप्रैल 2011 से पूंजी बाजार नियामक संस्था ने इसे अनिवार्य नियम बना दिया है। इसके लिए बाकायदा लिस्टिंग समझौते में संशोधन किया गया है। हालांकि अभी तक स्थिति यह है कि बहुत सारी कंपनियों ने कई सालों से अपनी वेबसाइट पर दी गई सूचनाओं को अद्यतन नहीं किया है। इससे निवेशकों को कंपनी के बारे में सहीऔरऔर भी