जब बाजार के प्रमुख खिलाड़ी लोकल नहीं, ग्लोबल हों तो देश की जमीन से उठी अच्छी लहरों को बाहर के झोंके उड़ा ले जाते हैं। ब्याज दरों में अप्रत्याशित कटौती से बाजार ऊपर-ऊपर चल रहा था। अमेरिका से भी बाजार के बढ़ने का आधार पीछे था। दस बजे तक निफ्टी 5342 तक चढ़ चुका था। लेकिन सूरज के सिर पर पहुंचते ही यूरोपीय बाजारों के कमजोरी के साथ खुलने के समाचार आ गए तो भारतीय बाजार भीऔरऔर भी

मैंने कल जो कहा था, वो आज हो गया। कल अफवाहों और प्लांटेड खबरों के चलते बाजार तीखी गिरावट का शिकार हुआ था तो आज की दिशा लगभग तय थी। कल तय लक्ष्य था ट्रेडरों को भरमाना तो उस्तादों को लगा कि उन्हें दो बजे से बाजार बंद होने तक ही बेचने की जरूरत है। तीखी गिरावट के बावजूद कल एफआईआई शुद्ध खरीदार रहे थे। उन्होंने 2396.83 करोड़ रुपए की बिकवाली की थी तो 2643.39 करोड़ कीऔरऔर भी

33 लाख कॉल ऑप्शंस को निकालना और 30 लाख पुट ऑप्शंस की ट्रेडिंग ने कल ही साफ कर दिया था कि बाजार आज कमजोर रहेगा। इसलिए निफ्टी के 5330 तक गिरने का पूरा अंदेशा था। लेकिन एक बार फिर डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट के अभाव ने बाजार को निपटा दिया। बाजार के उस्तादों ने मौका ताड़कर एक बजकर 57 मिनट पर निर्णायक हमला बोल दिया। अफवाहों के दम पर निफ्टी को 2.54 फीसदी तोड़कर 5228.45 औरऔरऔर भी

फरवरी सेटलमेंट में बाजार बराबर बढ़ता रहा, जबकि पेट्रोल व डीजल की मूल्यवृद्धि और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की चिंता से हर कोई वाकिफ था। ट्रेडर निफ्टी के 5200 से 5600 तक पहुंचने तक लगातार शॉर्ट करते रहे। फिर आखिरकार उन्होंने हथियार डाल दिया और बाजार धड़ाम हो गया। लगातार चार दिनों तक बाजार गिरता रहा। कल की गिरावट पिछले छह महीनों की सबसे तगड़ी गिरावट थी। इसने न केवल सारे लांग सौदों पर पूर्णविराम लगाऔरऔर भी

बाजार के बारे में इसके अलावा खास कुछ देखने-समझने को नहीं है कि इस समय हर किसी पर डर का घटाटोप छाया हुआ है। लोगबाग सेंसेक्स के 14,000 तक गिर जाने की बात कहने लगे हैं। एक अतिरेकवादी ने तो मुझे ई-मेल भेजा है कि सेंसेक्स 7500 तक चला जाएगा और मेरे पास बस मुस्कराने के अलावा इस पर कुछ कहने को नहीं था। रोलओवर के दौरान ऐसा होता है। अतिवादी सक्रिय हो जाते है। अफवाहें अपनेऔरऔर भी

बाजार में आज जमकर अफवाह चली कि भारत के वॉरेन बफेट माने जानेवाले प्रमुख निवेशक राकेश झुनझुनवाला (आरजे) चांदी की ट्रेडिंग में बुरी तरह फंस गए हैं और इसमें हुए नुकसान की भरपाई के लिए तमाम कंपनियों में अपना निवेश निकाल रहे हैं। मेरी समझ से यह मंदडियों द्वारा फैलाई गई अफवाह है। हालांकि यह सच है कि आरजे ने डेल्टा कॉर्प और वीआईपी इंडस्ट्रीज जैसे कुछ स्टॉक्स में अपनी होल्डिंग घटाई है क्योंकि अभी इनका मूल्यांकनऔरऔर भी

बाजार के हालात सचमुच खराब हों या न हों, लेकिन भाई लोगों ने अफवाहों का चक्रवात चलाकर पूरे माहौल को बहुत भयावह बना दिया है। वे बता रहे हैं कि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने 3 अक्टूबर 2008 को क्या आंकड़े पेश किए थे और अब उसी ने 3 अक्टूबर 2011 को क्या आंकड़े पेश किए हैं। संयोग से दोनों आंकड़े कमोबेश एक जैसे हैं और लेहमान संकट के समय आए ध्वंस की याद दिला रहे हैं। एकऔरऔर भी

सेटलमेंट का आखिरी दिन। निफ्टी 5600 के ऊपर डटा रहा। 5657.90 तक जाने के बाद 5634.90 पर बंद हुआ। साफ संकेत अगली बढ़त का। महीने का अंत आते-आते मैंने अपना जो लक्ष्य आपको बताया था, वह 5735 पर कायम है। रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और एसबीआई ने बाजार को उठने में मदद की है। हालांकि आरआईएल में अब भी बढ़त की काफी गुंजाइश बाकी है। जब तक यह 880 रुपए के नीचे नहीं जाता, तब तक इसमें रुझानऔरऔर भी

शनिवार को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के नए चेयरमैन प्रकाश चंद्रा ने दिल्ली में बयान दिया कि मॉरीशस भारत के साथ दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएए) में संशोधन पर विचार कर रहा है और दोनों पक्षों में जल्दी ही इसे ठोस रूप देने पर बैठक हो सकती है। रविवार को उनका यह बयान टाइम्स ऑफ इंडिया समेत कई अखबारों में छपा। हालांकि इसमें यह भी जोड़ दिया गया कि भारत अपने यहां लाभ कमानेवाली कंपनियों परऔरऔर भी

अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (एडीएजी) क दावा है कि उसने समूह की कंपनियों के खिलाफ निराधार व सनसनीखेज अफवाहें फैलानेवाले शेयर ब्रोकरों की पहचान कर ली है और सेबी से उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। समूह का कहना है कि ये ब्रोकर बड़ी संख्या में ई-मेल और एसएमएस भेज रहे थे और समूह की कंपनियों के खिलाफ निराधार व सनसनीखेज आरोप के साथ बड़ी संख्या में निवेशकों को फोन कर रहे थे। बता देंऔरऔर भी