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जो भी पैदा हुआ है, वह मरेगा। यह प्रकृति का चक्र है, नियम है। ट्रेन पर सवार हैं तो ट्रेन की होनी से आप भाग नहीं सकते। कूदेंगे तो मिट जाएंगे। यह हर जीवधारी की सीमा है। इसमें जानवर भी हैं, इंसान भी। लेकिन जानवर प्रकृति की शक्तियों के रहमोकरम पर हैं, जबकि इंसान ने इन शक्तियों को अपना सेवक बनाने की चेष्ठा की है। इसमें अभी तक कामयाब हुआ है। आगे भी होता रहेगा। मगर, यहांऔरऔर भी

अमेरिकी बाजार के 300 अंक गिरने से हर किसी के मन में डर भर गया था कि बाजार आज भारी डुबकी लगाकर खुलेगा। सो, ट्रेडर शुरुआत में ही शॉर्ट हो गए। लेकिन जैसा कि मैंने आपको बताया था कि बाजार ने निफ्टी में 5210 के आसपास सहारा हासिल किया और बहुत तेजी से पलटकर 5300 तक जा पहुंचा। ट्रेडरों ने कभी इसकी कल्पना तक नहीं की थी। फिलहाल निफ्टी कमोबेश कल के बराबर ही रहा है। निफ्टीऔरऔर भी

रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) में आई करीब तीन फीसदी की गिरावट ने बाजार को थोड़ा दबाकर रख दिया। फिर भी चुनिंदा स्टॉक्स, खासकर बी ग्रुप के स्टॉक्स में बढ़त जारी है। गौर करने की बात यह है कि पिछले छह महीनों में दो चीजें हुई हैं। एक, जो प्रवर्तक ऊंचे मूल्यों पर भी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने को तैयार नहीं थे, उन्हें अब समझ में आ गया है कि फंड जुटाने का सबसे सस्ता व अच्छा तरीकाऔरऔर भी

दूरसंचार नियामक संस्था, ट्राई ने देश भर के लिए 6.2 मेगाहर्ट्ज 2जी स्पेक्ट्रम की कीमत कई गुना बढाने का सुझाव दिया है जो वित्तीय रूप में मौजूदा और नई दूरसंचार कंपनियों पर बड़ा असर डाल सकता है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राई) का सुझाव है कि देश भर के लिए 6.2 मेगाहर्ट्ज 2 जी स्पेक्ट्रम की कीमत को बढाकर 10,972.45 करोड़ रुपए कर दिया जाए जो फिलहाल 1658 करोड़ रुपए है। इस आधार पर 2008 में अखिलऔरऔर भी

बहुत से निवेशक अभी तक मार्क टू मार्केट के दबाव और विशेषज्ञों की सलाहों के आगे घुटने टेक चुके हैं और बाजार से बहुत कुछ बेच-बाच कर निकल गए हैं। ब्रोकर उन्हें अब भी समझा रहे हैं कि हर बढ़त उनके लिए राहत का मौका है और ऐसे हर मौके पर उन्हें बेचकर निकल लेना चाहिए। अच्छा है क्योंकि आपका इम्तिहान चल रहा है। अब, ऐसा तो नहीं हो सकता कि आप हर बार उम्मीद करें किऔरऔर भी

भारी ऊंच-नीच और इंट्रा-डे सौदों की मार दिखाती है कि बाजार में मंदी से कमाई करनेवाले मंदड़िये आक्रामक हो गए हैं। हालांकि बाजार पर पूरा नियंत्रण अब भी तेजड़ियों का है और उनकी लय-ताल को तोड़ना कठिन ही नहीं, आत्मघाती भी है क्योंकि हकीकत यह है कि बाजार में रिटेल और एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) निवेशकों की एंट्री हो चुकी है। नोट करने की बात यह है कि मंदड़ियों के आक्रमण के बावजूद निफ्टी कल से नीचेऔरऔर भी

डीलर, ट्रेडर और ब्रोकर अपनी स्क्रीन रीडिंग के आधार पर बाजार का रुझान तय करते हैं। स्क्रीन तो दिखा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से एफआईआई की खरीद नदारद है। इसलिए बाजार नीचे फिसल रहा है और करेक्शन के लिए तैयार है। उनकी स्क्रीन रीडिंग से मुझे कोई इनकार नहीं। लेकिन यह अल्पकालिक तरीका है क्योंकि बाजार में अगर दो बजे खरीद शुरू होती है तो यही लोग इस तरह के सिद्धांत गढ़नेवाले अपने गुरुघंटालों काऔरऔर भी

मैं ये तो नहीं कहता कि एफआईआई मूरख हैं। आखिर वे हमारे बाजार की दशा-दिशा तय करते हैं। लेकिन इतना जरूर है कि उन्हें बहुत आसानी से मूर्ख बनाया जा सकता है या ऐसा भी हो सकता है कि वे आसानी से मूर्ख बनने का स्वांग करते हों। उन्होंने अपने इर्दगिर्द 200 करोड़ रुपए के बाजार पूंजीकरण की लक्ष्मण रेखा खींच रखी है। वे वही स्टॉक इतने या इससे ज्यादा बाजार पूंजीकरण पर खरीदते हैं जिन्हें ऑपरेटरऔरऔर भी

वर्धमान एक्रिलिक्स बीएसई में नहीं, एनएसई में लिस्टेड है। शुक्रवार को इसका 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर 5.22 फीसदी की बढ़त के साथ 14.10 रुपए पर बंद हुआ है और इसमें अच्छा-खासा वोल्यूम हुआ है। 9.46 लाख शेयरों के सौदे हुए, जबकि इससे पिछले दिन 8 जुलाई को सौदों की मात्रा 3.46 लाख थी। इसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 16.25 और न्यूनतम स्तर 8.45 रुपए का है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 270.48 करोड़औरऔर भी

सेंसेक्स अब 18,000 के जादुई आंकड़े से सिर्फ 170 अंक दूर है और अगर सोमवार को 9 बजे बाजार खुलने पर यह मुकाम हासिल हो जाए तो मुझे जरा-सा भी अचरज नहीं होगा। कल मेरी टीम ने जब मुझे बताया कि स्लोएन (Sloane) नाम के एक फंड ने भारती एयरटेल के 10.3 लाख शेयर खरीदे हैं, तभी मैंने उनसे कह दिया था कि भारती कल आराम कल 300 रुपए को पार कर जाएगा और पक्के तौर परऔरऔर भी