प्राण मरने पर ही शरीर नहीं छोड़ता, बल्कि जीवित रहते हुए भी प्राण तत्व घटता रहता है। पस्तहिम्मती और आत्मबल के डूबने के रूप में सामने आता है यह। हां, इस दौरान मृत्यु के जबड़े से जीवन को खींच लेने का विकल्प हमारे सामने खुला रहता है।और भीऔर भी

दिन की शुरुआत इससे करें कि किस-किस के प्रति कृतज्ञ हैं तो दिन बड़ा अच्छा गुजरता है। कृतज्ञता का भाव हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा और आत्मबल का संचार करता है, जबकि नाराजगी का भाव हमें शिथिल और कमजोर बना देता है।और भीऔर भी

आत्मविश्वास वह बल है जो हमारी शक्तियों को केंद्रित करता है। हम या  हमारी कौम अपने अतीत को नकार कर यह बल हासिल नहीं कर सकते। आज जरूरत टूटी हुई कड़ियों को जोड़कर इस बल को जगाने की है।और भीऔर भी