बजट का शोर थम चुका है। विदेशी निवेशकों को जो सफाई वित्त मंत्री से चाहिए थी, वे उसे पा चुके हैं। अब शांत हैं। निश्चिंत हैं। बाकी, अर्थशास्त्रियों का ढोल-मजीरा तो बजता ही रहेगा। वे संदेह करते रहेंगे और चालू खाते का घाटा, राजकोषीय घाटा, सब्सिडी, सरकार की उधारी, ब्याज दर, मुद्रास्फीति जैसे शब्दों को बार-बार फेटते रहेंगे। उनकी खास परेशानी यह है कि धीमे आर्थिक विकास के दौर में वित्त मंत्री जीडीपी के आंकड़े को 13.4औरऔर भी

सही व काम की शिक्षा पर किया गया खर्च कभी बेकार नहीं जाता। वो तो निवेश की तरह है जिसमें अभी उठाई गई थोड़ी-सी तकलीफ बाद में बड़े आराम का आधार बन जाती है। इसलिए शिक्षा को कभी उपभोग नहीं, हमेशा निवेश मानना चाहिए।और भीऔर भी

शरीर है। क्रिया-प्रतिक्रिया की लीला ही जीवन है, उसकी चमक है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अंदर चमक देनेवाली कोई वस्तु अलग से बैठी है। सूरज जो इस सृष्टि के जीवन का आधार है, उसमें रौशनी फेंकने वाली कोई आत्मा नहीं विराजती।और भीऔर भी

भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) दूसरे चरण के तहत 40 करोड़ लोगों को आधार नंबर देने के लिए पंजीकरण का काम इसी अप्रैल महीने से शुरू कर रहा है। इस संदर्भ में रजिस्‍ट्रार, पंजीकरण एजेंसियों और अन्‍य भागीदारों के लिए राष्‍ट्रीय स्‍तरीय कार्यशाला मंगलवार को विज्ञान भवन में शुरू की गई। लोगों को आधार नंबर देने के लिए पंजीकरण करने का काम धीरे-धीरे पूरे देश में शुरू होने की उम्‍मीद है। यूआईडीएआई को आशा है कि अपनेऔरऔर भी

जल्दी ही एक हज़ार रुपए से ज्यादा के सारे सरकारी लेनदेन इलेक्ट्रॉनिक रूप से किए जाने लगेंगे। यही नहीं, स्कूल अध्यापकों, आंगनवाड़ी कर्मियों और आशा (एक्रिडिटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट) कर्मचारियों की तनख्वाह भी सीधे उनके बैंक या पोस्ट ऑफिस खाते में जमा की जाएगी। यह कुछ सिफारिशें हैं आधार से जुड़े एकीकृत भुगतान तंत्र पर बने टास्क फोर्स की। टास्क फोर्स का मानना है कि इससे सरकारी कामकाज में भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी को काफी हद तक खत्मऔरऔर भी

।। एस पी सिंह ।। ध्वस्त राशन प्रणाली पर खाद्य सुरक्षा विधेयक का बोझ डालने का सीधा मतलब खाद्य सब्सिडी में दोगुनी लूट है। सरकार इसी मरी राशन प्रणाली के भरोसे देश की तीन चौथाई जनता को रियायती मूल्य पर अनाज बांटने का मंसूबा पाले बैठी है, जबकि उसी के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक 60 फीसदी रियायती दर वाला गेहूं और 20 फीसदी चावल गरीबों तक पहुंचने से पहले ही लूट लिया जाता है। पिछले वित्त वर्षऔरऔर भी

अब यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) की हिंदी वेबसाइट भी शुरू हो गई है। हिंदी दिवस इस वेबसाइट का उद्घाटन नंदन नीलेकणि ने किया। उन्‍होंने कहा कि यह वेबसाइट काफी व्‍यापक है और यूआईडीएआई पोर्टल का पूर्ण हिंदी अनुवाद है। उनका दावा है कि यह हिंदी पोर्टल मास्‍टर वेबसाइट का वाजिब अनुवाद है और यह हिंदी में अनूदित अन्‍य वेबसाइटों से भिन्न है। बता दें कि देश के हर नागरिक को अलग पहचान देने की इसऔरऔर भी

रसोई गैस, केरोसिन और उर्वरक पर दी जानेवाली सब्सिडी तीन चरणों में सीधे लक्षित व्यक्ति के बैंक खाते में पहुंचा दी जाएगी। लेकिन इसमें सबसे बड़ा पेंच है कि सब्सिडी पानेवाले व्यक्ति के पास बैंक खाता तो हो। इसलिए लोगों तक सीधे सब्सिडी पहुंचाने के लिए वित्तीय समावेश कार्यक्रम को तेज करना अपरिहार्य है। यह बात कही है सारे देशवासियों को अलग पहचान देने के काम में लगी संस्था यूआईडीएआई (यूनीक आइडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के प्रमुखऔरऔर भी

देश में वित्तीय समावेश की स्थिति पहले से बेहतर हो गई है। पांच साल पहले 35 फीसदी भारतीय घरों तक ही बैंकिंग सेवाओं की पहुंच थी। लेकिन अब यह 47 फीसदी हो गई है और अगले पांच साल में देश के 80 फीसदी घरों तक हमारी बैंकिंग सेवाओं का नेटवर्क पहुंच जाएगा। यह दावा प्रमुख उद्योग संगठन सीआईआई (कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) और बोस्टन कंसल्टेंसी ग्रुप (बीसीजी) की साझा अध्ययन रिपोर्ट में किया गया है। इस रिपोर्टऔरऔर भी