जनगणना के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि देश में 1991 के बाद से किसानों की संख्या करीब 1.50 करोड़ घट गई है, जबकि 2001 के बाद यह कमी 77 लाख से थोड़ी ज्यादा है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो पिछले बीस सालों में हर दिन औसतन 2035 काश्तकार या किसान अपनी स्थिति से बेदखल होते जा रहे हैं। जानेमाने कृषि विशेषज्ञ और अंग्रेज़ी अखबार ‘द हिंदू’ में ग्रामीण मामलों के संपादक पी साईनाथ ने अपने एकऔरऔर भी

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आगाह किया है कि भारत में आबादी के हिसाब से पहले से ही कम जल की उपलब्धता और कम होती जा रही है। इस देखते हुए अपने स्वामित्व वाली भूमि से भी मनमाफिक जल निकालने की छूट को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाए जाने की सख्त जरूरत है। प्रधानमंत्री ने राजधानी दिल्ली में ‘भारत जल सप्ताह’ का उद्घाटन करते हुए बताया कि दुनिया की 17 फीसदी आबादी भारत में है लेकिन उपयोगऔरऔर भी

अगले 48 सालों में जापान की आबादी 32 फीसदी घट जाएगी और उसमें भी ज्यादातर बुजुर्ग होंगे। जापान के स्वास्थ्य व कल्याण मंत्रालय की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट का कहना है कि साल 2060 तक देश की आबादी घटकर 8.67 करोड़ रह जाएगी। अगर इसके बाद भी यही दशा जारी रही तो 2110 तक जापान में सिर्फ 4.92 करोड़ लोग बचे रहेंगे। फिलहाल जापान की आबादी 12.77 करोड़ है। जापान सरकार कोऔरऔर भी

देश में 31 जुलाई 2011 तक एलोपैथिक डॉक्टरों की संख्या 8,56,065 रही है। इनमें से करीब 6 लाख डॉक्टर ही नियमित प्रैक्टिस करते हैं। देश की आबादी करीब 121 करोड़ है। इस तरह हर 2016 लोगों पर देश में एक एलोपैथिक डॉक्टर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानक है कि हर 1000 लोगों पर एक एलोपैथिक डॉक्टर होना चाहिए। योजना आयोग के एक विशेषज्ञ दल का अनुमान है कि भारत यह मानक साल 2028 तक हासिल करऔरऔर भी

हमारी 57% जमीन भूकंप के प्रति संवेदनशील ज़ोन में आती है और देश की दो-तिहाई आबादी इन्हीं इलाकों में रहती है। देश के 27 शहरों की आबादी दस लाख या इससे अधिक है और हमारी कुल शहरी आबादी का करीब 25% हिस्सा इन्हीं शहरों में रहता है। पिछले कुछ सालों में सामाजिक-आर्थिक वजहों से शहरों पर बोझ बढ़ता गया है। पृथ्वी विज्ञान मंत्री विलासराव देशमुख का कहना है कि भूकंप के खतरों को कम करने के प्रयासऔरऔर भी

2011 की जनगणना के अनुसार देश की 121 करोड़ की आबादी का 56.9% हिस्सा 15 से 59 साल यानी काम करने की उम्र का है। 60 साल या इससे ऊपर की आबादी का अनुपात 7.5% है। बाकी 35.6% बच्चे हैं 15 साल से कम उम्र के। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी कहते हैं कि अगले तीस सालों में देश में दूसरों पर निर्भर रहनेवालों का अनुपात तेजी से घटेगा। अगले बीस सालों में कामकाजी आबादी तेजी से बढ़ेगीऔरऔर भी

जो हमें रोज-ब-रोज की जिंदगी में दिखता है, उसकी पुष्टि सरकारी आंकड़ों ने कर दी है। देश में कामकाज करने योग्य आधी से अधिक 51 फीसदी आबादी स्वरोजगार में लगी है। केवल 15.6 फीसदी लोग ही नियमित नौकरी करते हैं। श्रमयोग्य आबादी का 33.5 फीसदी अस्थायी मजदूरी करता है। यह हकीकत सामने आई है राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के 66वें सर्वे में। यह सर्वे जुलाई 2009 से जून 2010 के दौरान किया गया था। सर्वे केऔरऔर भी

ऑस्ट्रेलिया में एक दशक  में भारतीय मूल के लोगों की तादाद तिगुनी से ज्यादा हो गई। 2010 तक के आंकड़ों के अनुसार वहां भारतीय मूल के लोगों की आबादी 3.40 लाख है, जबकि वर्ष 2000 में यह 96,000 थी। इस दौरान वहां एशियाई मूल के सारे लोगों की आबादी 10.03 लाख से बढ़कर 20.01 लाख हो गई, जबकि ब्रिटिश मूल के लोगों की आबादी 12 लाख के आसपास है। वर्ष 1947 में वहां सिर्फ 0.3% ही एशियाईऔरऔर भी

वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार देश में आदिवासियों की आबादी आठ करोड़ से अधिक है जिनमें से 7.73 करोड़ ग्रामीण इलाकों में और केवल 70 लाख शहरी इलाकों में रहते हैं। 12 राज्यों में आदिवासियों के 2474 गांव हैं और इनमें असम के वनों में बसे गांवों की संख्या सबसे ज्यादा है। असम में आदिवासियों के 499 गांव हैं जबकि उत्तर प्रदेश में सबसे कम 12 गांव हैं। केंद्र सरकार ने अभी तक राष्ट्रीय आदिवासी नीतिऔरऔर भी