हिंदुस्तान यूनिलीवर ने पंजाब और कर्नाटक के लगभग 3500 किसानों से एक करार किया है जिसके तहत वे इस बहुराष्ट्रीय कंपनी के लिए टमाटर उगाएंगे। कंपनी इन टमाटरों का इस्तेमाल अपने उत्पाद ‘किस्सान’ केचप में बतौर कच्चा माल करेगी। कंपनी चार साल पहले तक केचप के लिए सारा टमाटर पेस्ट बाहर से आयात करती थी। अब यह आयात घटकर 20 फीसदी से भी कम हो गया है। हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) में सुप्लाई श्रृंखला के प्रभारी और कार्यकारीऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति लगातार तीसरे हफ्ते साल भर पहले की तुलना में बढ़ने के बजाय घट गई है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से हर गुरुवार की तरह इस गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक 7 जनवरी 2012 को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति शून्य से नीचे 0.42 फीसदी रही। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति की दर इससे पिछले हफ्ते शून्य से नीचे 2.90 फीसदी और उससे पिछले हफ्ते शून्य से नीचे 3.36 फीसदी थी।औरऔर भी

इस समय जो-जो चीजें किसानों के पास बहुतायत में हैं, उन सभी की कीमत में भारी गिरावट के कारण खाद्य मुद्रास्फीति की दर शून्य से नीचे पहुंच गई है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 24 दिसंबर 2011 को समाप्त सप्ताह में थोक मूल्यों पर आधारिक खाद्य मुद्रास्फीति की दर (-) 3.36 फीसदी रही है। लेकिन किसानों के पास जो चीजें नहीं हैं, मसलन दूध, फल, दाल व मांस-मछली व अंडे, उनऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति की दर 39 महीनों के न्यूनतम स्तर पर आ गई है। गुरुवार को आए इन आंकड़ों से वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी इतने उत्साहित हुए कि उन्होंने संसद में महंगाई पर बहस में विपक्ष को ललकारते हुए दावा किया कि गेहूं, चावल व दाल समेत विभिन्न खाद्य वस्तुओं की कीमतें दो साल पहले की तुलना में कम हुई हैं। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति की दरऔरऔर भी

पिछले 52 हफ्तों की खाद्य मुद्रास्फीति का औसत भले ही 10.52 फीसदी हो, लेकिन सरकार के लिए सुकून की बात है कि इसकी दर 19 नवंबर को खत्म सप्ताह में ठीक 8 फीसदी पर आ गई है। इससे पिछले हफ्ते खाद्य वस्तुओं के थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित यह दर 9.03 फीसदी थी। मुद्रास्फीति को अभी के हफ्ते के थोक मूल्य सूचकांक और साल पहले के हफ्ते के थोक मूल्य सूचकांक के अंतर के प्रतिशत के रूपऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति का बढ़ना और हमारे वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का चिंतित होना लगता है जैसे अब अनुष्ठान बन गया है। 24 सितंबर को खत्म हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 9.41 फीसदी पर पहुंच गई। इसके जारी होने के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि यह निश्चित तौर पर चिंता का कारण है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक फल, सब्जी, दूध व अंडा, मांस-मछली की कीमत में तेजी के चलते 24औरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति 17 सितंबर को समाप्त सप्ताह में फिर से बढ़कर 9.13 फीसदी पर पहुंच गई। इससे पिछले हफ्ते यह दर 8.84 फीसदी थी, जबकि उससे पहले हफ्ते में 9.47 फीसदी थी। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने खाद्य वस्तुओं के दामों में जारी तेजी को गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि इस तरह का उतार-चढ़ाव गंभीर चिंता का विषय है। खाद्य मुद्रास्फीति दहाई अंक के करीब है जो गंभीर स्थिति है।औरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति 27 अगस्त को खत्म सप्ताह में थोड़ा घटकर 9.55 फीसदी पर आ गई। हालाकि सप्ताह के दौरान दाल और गेहूं को छोड़कर अन्य सभी प्राथमिक खाद्य वस्तुओं के दाम एक साल पहले की तुलना में ऊंचे रहे। इससे पिछले सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति 10.05 फीसदी थी जबकि पिछले साल 2010 के इसी सप्ताह में यह 14.76 फीसदी थी। असल में कुछ सप्ताह तक नरम रहने के बाद 20 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान खाद्यऔरऔर भी

सरकारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति की दर 16 जुलाई को समाप्त सप्ताह में घटकर 20 माह के न्यूनतम स्तर 7.33 फीसदी पर आ गई। लेकिन दूध, फल और अंडा, मांस व मछली जैसी जिन प्रोटीन-युक्त खाद्य वस्तुओं का खास जिक्र दो दिन पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने मौद्रिक की समीक्षा में किया था, उनके दाम अब भी ज्यादा बने हुए हैं। साल भर की समान अवधि की तुलना में उक्त सप्ताह में फलऔरऔर भी

खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति की दर 23 अप्रैल को खत्म हुए सप्ताह में घटकर 8.53 फीसदी पर आ गई। लेकिन ईंधन व बिजली का सूचकांक इसी दौरान 13.53 फीसदी बढ़ गया। नतीजतन प्राथमिक वस्तुओं की महंगाई दर दहाई अंक में 12.11 फीसदी पर डटी हुई है। बता दें कि थोक मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं का भार 14.34 फीसदी और ईंघन व बिजली का 14.91 फीसदी है। वैसे, तुलनात्मक रूप से देखें तो प्राथमिक वस्तुओं की महंगाईऔरऔर भी