एक तरफ देश के शीर्ष ऑडिटर, नियंत्रण व महालेखापरीक्षक (सीएजी) इस बात अडिग हैं कि कोयला ब्लॉकों को नीलामी के बजाय सीधे-सीधे आवंटित किए जाने से देश को 10.7 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, भले ही वे इसे घुमाकर कहनेवाले हों कि इससे कंपनियों को 10.7 लाख करोड़ रुपए का फायदा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार मामले की लीपापोती में जुटी है। केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल तो नेपथ्य में चले गए हैं।औरऔर भी

देश के कोयला खदानों के आवंटन में घोटाले की बात कोई नई नहीं है। कई महीने पहले शिवसेना के एक सांसद ने ब्योरेवार तरीके के संसद में बहस के दौरान सारा कच्चा चिट्ठा खोला था। जेडी-यू अध्यक्ष शरद यादव ने भी इस पर हल्ला मचाया था। बीजेपी तक ने इस पर अपने तेवर गरम कर लिए थे। लेकिन फिर न जाने क्या हुआ कि सभी नरम पड़ गए। गुरुवार को अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने सीएजीऔरऔर भी

स्पेक्ट्रम की भारी किल्लत को देखते हुए सरकार नयी दूरसंचार नीति में दो या अधिक सेवा प्रदाताओं के बीच स्पेक्ट्रम के साझा इस्तेमाल की अनुमति दे सकती है। नयी दूरसंचार नीति, 2011 की रूपरेखा तैयार करने में लगे अधिकारियों ने कहा, ‘‘यद्यपि ट्राई (टीआरएआई) ने स्पेक्ट्रम के साझा इस्तेमाल की सिफारिश की है, लेकिन इसके खरीद-फरोख्त की कभी भी सिफारिश नहीं की गई।’’ अधिकारियों ने 2जी स्पेक्ट्रम में खरीद-फरोख्त से इनकार किया है क्योंकि इसकी नीलामी नहींऔरऔर भी

निर्धारित समय के भीतर आवंटित कपास का निर्यात करने में विफल रहने वाले कपास निर्यातकों को भविष्य में आवंटन से वंचित रखा जा सकता है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने कहा है कि वह निर्धारित समय सीमा के भीतर निर्यात करने से चूकने वाले कपास निर्यातकों के खिलाफ दंड की कार्रवाई भी शुरू करेगा। कपास की किल्लत के चलते कोटा के जरिए कपास के सीमित निर्यात की अनुमति दी गई है। शुरुआत में कोटा आवंटन 55 लाखऔरऔर भी

लेफ्ट पार्टियों ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और एक निजी कंपनी के बीच हुए करार को ‘नया घोटाला’ करार दिया है और इस मामले की गंभीरता से जांच किए जाने की मांग की है। खबरों के मुताबिक इसरो ने बिना कोई निविदा प्रक्रिया अपनाए एस-बैंड का दुर्लभ स्पेक्ट्रम एक निजी कंपनी को आवंटित कर दिया है। सीपीएम के पॉलित ब्यूरो सदस्य सीताराम येचुरी ने राजधानी दिल्ली में संवाददाताओं के बताया, “यह एक नया मसला है। इसरोऔरऔर भी

अगर केंद्र के सूचना प्रौद्योगिक मंत्रालय के दावे को सही मानें तो दो-ढाई साल भर के भीतर देश के सभी 626 जिलों में पेंशन, राशन कार्ड, दीवानी अदालतों के मुकदमे, जाति व विवाह के प्रमाण-पत्र, आय और रोजगार प्रमाण पत्र का सारा कामकाज ऑनलाइन हो जाएगा। ऐसी छह से दस सेवाएं हैं जिनका सारा लेखा-जोखा डिजिटल रूप में रखा किया जाएगा। मंत्रालय यह काम ई-डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट के तहत करवाएगा और यह प्रोजेक्ट चार-पांच महीनों में शुरू करऔरऔर भी