देश के लिए सोचना आसान है, करना कठिन। सोचने के लिए बस भावना चाहिए, जबकि करने के लिए सही हालात का सच्चा ज्ञान जरूरी है। भावना में सच्चे, ज्ञान में कच्चे रहे तो सत्ता के लिए लार टपकाता कोई समूह हमारा इस्तेमाल कर लेता है।और भीऔर भी

समय और अनिश्चितता, दो ऐसी चीजें हैं जिनसे हर इंसान का साबका सड़क पार करने से लेकर भावी योजना और निवेश तक के तमाम छोटे-बड़े फैसलों तक में पड़ता है। जिस किसी ने भी इन्हें साध लिया, उसकी ज़िंदगी आसान हो जाती है।और भीऔर भी

जटिलता से क्या भागना! सरलता की मंजिल तो जटिलता से गुजरकर ही मिलती है। आंतरिक संरचनाएं जितनी जटिल होती जाती हैं, चीजें उतनी आसान हो जाती हैं। खुद-ब-खुद आसानी से खुलनेवाला कांच का दरवाजा अंदर से जटिल होता है।और भीऔर भी

झूठ और लूट के इस दौर में कोई कोना पकड़कर जी लेना आसान है। हज़ारों-लाखों जिंदगियों को प्रभावित करनेवाला उद्यम खड़ा करना काफी कठिन है। लेकिन सबसे कठिन है झूठ और लूट के तंत्र को बेनकाब करते हुए सच्चे राष्ट्र का निर्माण।और भीऔर भी

सोते हुए को जगाना आसान है, जगते हुए को जगाना मुश्किल। लेकिन जो लोग जागते हुए भी सोते रहते हैं, वे किसी और का नहीं, अपना ही नुकसान करते हैं। असहज अवस्था में होने के कारण फालतू चीजें भी उनके लिए घातक बन जाती हैं।और भीऔर भी