आम निवेशक ज़रा-सा मौका मिलते ही म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों से तौबा कर ले रहे हैं। अभी बीते सितंबर महीने में उन्होंने इन इक्विटी स्कीमों से 3306 करोड़ रुपए निकाले हैं। यह जानकारी म्यूचुअल फंडों के साझा मंच, एम्फी की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों में दी गई। ये आंकड़े तैयार तो शुक्रवार, 5 अक्टूबर को ही कर लिए गए थे। लेकिन जारी इन्हें सोमवार को किया गया। किसी भी एक महीने में म्यूचुअल फंडों कीऔरऔर भी

फरवरी महीने में शेयर बाजार की गति को दिखानेवाला सूचकांक, निफ्टी 4 फीसदी बढ़ गया। लेकिन इस बढ़त से म्यूचुअल फंडों की आस्तियां (एयूएम) महज 2 फीसदी बढ़ी हैं। नोट करें कि यह म्यूचुअल फंड स्कीमों में आए निवेश का नहीं, बल्कि बाजार के बढ़ने से उनके निवेश में हुई बढ़त या मार्क टू मार्केट उपबल्धि को दर्शाता है। बाजार के बढ़ने की वजह फरवरी में एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) की तरफ से शेयरों में किया गयाऔरऔर भी

चालू खाते के बढ़ते घाटे से परेशान सरकार देश में विदेशी पूंजी को खींचने की हरचंद कोशिश कर रही है। इसी के तहत 2011-12 के बजट में जहां कॉरपोरेट बांडों को विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निवेश सीमा बढ़ाकर 40 अरब डॉलर कर दी गई है, वहीं म्यूचुअल फंडों को अपनी इक्विटी स्कीमों में सीधे विदेशी निवेशकों से अभिदान या सब्सक्रिप्शन लेने की इजाजत दे दी गई है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने यह घोषणा करते हुएऔरऔर भी

18 फरवरी, शुक्रवार को यूटीआई एसेट मैनेजमेंट कंपनी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक यू के सिन्हा पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी के नए चेयरमैन बनने जा रहे हैं। लेकिन लगता है कि उनके स्वागत की तैयारियों में सेबी ने अभी से ही म्यूचुअल उद्योग के प्रति अपना नजरिया बदलना शुरू कर दिया है। कम से कम वह यह दिखाने की कोशिश में है कि उसने हमेशा म्यूचुअल फंड उद्योग का भला सोचा है और अब भी उसकेऔरऔर भी

निवेशक खुद सीधे शेयर बाजार में पैसा लगाने की बजाय म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों से ज्यादा फायदा उठा सकते हैं। यह बात साबित होती है पिछले एक साल में ऐसी स्कीमों द्वारा दिए गए रिटर्न से। पिछले एक साल में बीएसई का मुख्य सूचकांक सेंसेक्स जहां करीब 70 फीसदी बढ़ा है, वहीं म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों का एनएवी (शुद्ध आस्ति मूल्य0 152 फीसदी तक बढ़ा है। म्यूचुअल फंड के आंकड़े और शोध से जुड़ी संस्थाऔरऔर भी