देश के इक्विटी बाजार में उतरनेवाला नया स्टॉक एक्सचेंज, एमसीएक्स एसएक्स पूरी तैयारी कर चुका है और बहुत मुमकिन है कि 13 नवंबर को दीवाली के मंगल अवसर पर या इससे पहले ही एक्सचेंज में ट्रेडिंग शुरू कर दे। एक्सचेंज के उप-चेयरमैन जिग्नेश शाह ने सोमवार को मुंबई में एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया, “नौ साल पहले 18 नवंबर को हमने अपने कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स की शुरुआत की थी। हमारी कोशिश एमसीएक्स एसएक्स की शुरुआत भी नवंबरऔरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को नई पूंजी उपलब्ध कराने पर तस्वीर जून अंत साफ हो जायेगी। बैंकों को अपने बिजनेस के बढ़ने के साथ-साथ पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीएआर) के मानक को पूरा करने के लिए बराबर पूंजी बढ़ाते रहने की जरूरत होती है और प्रमुख शेयरधारक होने के नाते में उनमें पूंजी निवेश बढ़ाना सरकार की मजबूरी है। वित्तीय सेवाओं के सचिव डी के मित्तल ने सोमवार को दिल्ली में एक समारोह के दौरान कहा, ‘‘मई अंत अथवाऔरऔर भी

फैसला हो गया। टेक महिंद्रा अब महिंद्रा सत्यम की बची हुई 61.35 फीसदी इक्विटी भी खरीद लेगी। इसके लिए वह महिंद्रा सत्यम के शेयधारकों को हर 17 शेयर पर अपने (टेक महिंद्रा के) दो शेयर जारी करेगी। धन का कोई लेनदेन नहीं, सारा मामला शेयरों से निपटा लिया जाएगा। ध्यान दें कि महिंद्रा सत्यम के शेयर दो रुपए अंकित मूल्य के हैं, जबकि टेक महिंदा के शेयरों का अंकित मूल्य दस रुपए है। दोनों कंपनियों के निदेशकऔरऔर भी

सरकार को देश के रिटेल व छोटे निवेशकों को शेयर बाजार में खींचकर लाने में भले ही कामयाबी न मिल रही हो, लेकिन हमारा वित्त मंत्रालय विदेश के रिटेल व छोटे निवेशकों को यहां ट्रेड करने की इजाजत देने पर विचार कर रहा है। इससे पहले चालू वित्त वर्ष 2011-12 के बजट में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने विदेशी निवेशकों को म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों में निवेश की अनुमति देने का ऐलान किया था। इस परऔरऔर भी

विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) तो भारत में धंधा करने के लिए आए हैं। काम खत्म, पैसा हजम। कमाई हो गई, निकल लिए। उनके मूल देश में कुछ गड़बड़ हुई तो अपना आधार बचाने निकल पड़े। यूरोप-अमेरिका के मामूली से घटनाक्रम पर भी वे बावले हो जाते हैं। इसलिए जो निवेशक एफआईआई का अनुसरण करते हैं, वे यकीनन समझदार होने के बावजूद परले दर्जे की मूर्खता करते हैं। लेकिन माना जाता है कि एलआईसी या यूटीआई म्यूचुअल फंडऔरऔर भी

तमाम विशेषज्ञ कहते फिरते हैं कि आम निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश केवल म्यूचुअल फंडों के जरिए करना चाहिए। एक बार पुरानी नौकरी के दौरान राकेश झुनझुनवाला से आम निवेशकों के लिए नए साल के निवेश पर सलाह मांगने गया था तो उन्होंने ऐसा ही दो-टूक जवाब दिया था। ये लोग पुराने जमाने के ओझा-सोखा की तरह कहते हैं कि बडा कठिन है किसी आम निवेशक के लिए सीधे शेयरों में निवेश करने की समझ हासिलऔरऔर भी

सामाजिक जीवन और प्रकृति में बिंदासपना चलता है। बल्कि सच कहा जाए तो जो रिस्क उठाते हैं, जीवन का असली आनंद वही लोग उठा पाते हैं। महाभारत में कृष्ण यही तो मनोभूति बना रहे होते हैं, जब वे अर्जुन से कहते हैं कि युद्ध में जीत गए तो धरती के सुखों का भोग करोगे और वीरगति को प्राप्त हो गए तो स्वर्ग का आनंद लूटोगे। लेकिन यह मानसिकता शेयर बाजार में नहीं चलती। यहां भावना में आंखऔरऔर भी

अमेरिका की प्राइवेट इक्विटी फर्म कार्लाइल ग्रुप ने प्रमुख ब्रोकरेज व वित्तीय सेवा कंपनी इंडिया इनफोलाइन (आईआईएफएल) की 9 फीसदी इक्विटी खरीद ली है। यह खरीद उसने सीधे शेयर बाजार से की है। कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंजों को यह जानकारी दी है। लेकिन उसने यह नहीं बताया है कि कार्लाइल ने किस भाव पर उसके शेयर खरीदे हैं। वैसे, बुधवार के बंद भाव 71.20 रुपए पर इंडिया इनफोलाइन की 9 फीसदी इक्विटी का मूल्य करीब 185 करोड़औरऔर भी

थाईलैंड का शेयर बाजार 8 फीसदी लुढ़क गया। यह दिखाता है कि एशिया में किस कदर घबराहट फैली हुई है। लेकिन भारत में कमजोर रोलओवर के कारण एक बार फिर थोड़ा सुधार होता दिखा। इस बीच वायदा कारोबार में चांदी गिरकर 47,000 रुपए प्रति किलो तक जा पहुंची जो हमारे 49,000 रुपए के अनुमान से भी नीचे है। लेकिन कैश बाजार में 3000 रुपए का प्रीमियम है जिससे हाजिर चांदी 50,000 रुपए के भाव में मिल रहीऔरऔर भी

बीते हफ्ते बाजार, बीएसई सेंसेक्स 1000 से ज्यादा अंक टूट गया। हालांकि हमारा मानना है कि ऐसा होना लाजिमी नहीं था। यह कुछ फंडों द्वारा घबराहट में निकलने के लिए की गई बिकवाली का नतीजा था। वैसे भी इन फंडों मे हफ्ते भर पहले ही घोषत कर दिया था कि उन्हें अपनी कुछ स्कीमों को समेटना है। अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने वही किया, जिसकी उम्मीद थी। लेकिन उसके इस संकेत ने अमेरिकी बाजारों परऔरऔर भी