मल्टीबैगर के चक्कर में बहुतेरे निवेश सलाहकार जमकर लोगों को उल्लू बनाते हैं। धन कई गुना करने की लालच में सीधे-साधे लोग तगड़ी फीस देकर निवेश कर देते हैं। उन्हें नहीं बताया जाता कि स्मॉलकैप या मिडकैप स्टॉक्स ही कई गुना बढ़ सकते हैं, जिनके गिरने का खतरा भी इतना ही भयंकर होता है। दूसरी तरफ लार्जकैप कंपनियों में निवेश के डूबने का खतरा नहीं, रिटर्न भी ठीकठाक मिलता है। पेश है ऐसी ही एक लार्जकैप कंपनी…औरऔर भी

बाजार बंद होते-होते साफ हो चुका था कि इंडोनेशिया में रिक्टर पैमाने पर 8.7 तीव्रता के भूकंप से भारत में किसी सुनामी का खतरा नहीं है। यह भी साफ होने लगा था कि इंडोनेशिया के जिस इलाके में भूकंप आया है, वहां से वो इलाका काफी दूर और अप्रभावित है, जहां से भारत की तमाम कंपनियां कोयला आयात करती हैं। लेकिन माहौल में डर छा चुका था और कोयला आयात करनेवाली तमाम भारतीय कंपनियों के शेयर गिरनेऔरऔर भी

आखिरकार भारत वैश्विक झटके से धीरे-धीरे उबर रहा है। हालांकि हमारे मंदड़िए बाजार को तोड़कर नीचे से नीचे ले जाने की हरचंद कोशिश में जुटे हैं। वे इसमें कामयाब नहीं हो पाएंगे और उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। यह अलग बात है कि ऑपरेटरों व एफआईआई का खेल रह-रहकर अपना प्रताप दिखाता रहता है। बाजार के संचालकों के लिए ऑप्शंस में कॉल व पुट राइटिंग के ऊंचे और नीचे स्तर से फायदा कमाकर घर ले जानेऔरऔर भी

निफ्टी में 5000 का स्तर अपने अंदर हरसंभव नकारात्मकता को सोखे हुए हैं। फिर भी गिरावट से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि लंबी कूद के लिए कुछ कदम पीछे तो जाना ही पड़ता है। जैसा कि सामने आ चुका है कि निफ्टी में 4800 की सीरीज में जमकर पुट ऑप्शन सौदे हुए है जो दिखाता है कि ज्यादातर मंदड़िए चाहते हैं कि अंततः रुख पलटने से पहले बाजार 4800 तक चला जाए। आज तो मंदड़ियों काऔरऔर भी

विश्व स्तर पर भी लगता है कि बद से बदतर हालात के असर को पूरी तरह जज्ब किया जा चुका है। ओवरसोल्ड हालत में पहुंच चुके दुनिया के शेयर बाजार से अब यहां से उठते चले जाएंगे। इस बीच भारतीय शेयर बाजार भी बेहद ओवरसोल्ड स्थिति में पहुंच गया है। डेरिवेटिव सौदों के रोलओवर में केवल सात दिन बचे हैं। इसलिए भारतीय बाजार की दिशा अब केवल बढ़ने की ही होनी है। इसी सेटलमेंट में निफ्टी 5500औरऔर भी

अमेरिका का डाउनग्रेड होना चाहिए था या नहीं, यह अब बहस का नहीं, इतिहास का मसला बन चुका है क्योंकि एस एंड पी उसकी संप्रभु रेटिंग को डाउनग्रेड कर एएए से एए+ पर ला चुकी है। हो सकता है कि एएए रेटिंग वाले दूसरे देशों को भी बहुत जल्द ही डाउनग्रेड कर दिया जाए। लेकिन क्या इस तरह के डाउनग्रेड से सब कुछ खत्म हो जाता है? ऐसा कतई नहीं है। दुनिया और बाजार चलते रहे हैं,औरऔर भी

अमेरिका के ऋण-संकट ने पूरी दुनिया के बाजारों की हालत पटरा कर दी है तो भारतीय बाजार कैसे सलामत बच सकता था। निफ्टी एक फीसदी से ज्यादा गिरकर 5500 के नीचे पहुंच गया। फिर भी मुझे लगता है कि अपने यहां असली तकलीफ रोल्स की है। चूंकि यह फिजिकल सेटलमेंट है नहीं, तो ट्रेडरों के पास कैश का अंतर भरने के अलावा कोई चारा नहीं है। यह हमारे बाजार में आई तीखी गिरावट का मूल कारण हैऔरऔर भी

बाजार कैसे और क्यों उठता-गिरता है, इसे परिभाषित करने के लिए आपको हमारी जरूरत नहीं है। यह तो आपको खुद समझना होगा। जहां तक हमारी बात है तो बाजार के 8000 अंक से 21,000 तक पहुंचने के अनुमान में हम एकदम सटीक रहे हैं और आगे आपको कम से कम 42,000 तक ले जाएंगे। हालांकि राकेश झुनझुनवाला ने किसी को बताया है कि बाजार 50,000 अंक तक जाएगा। मजे की बात यह है कि वे यहां बीएसईऔरऔर भी

बाजार (सेंसेक्स) खुला मुहूर्त से करीब 37 अंक बढ़कर, मगर बंद हुआ 152.58 अंक की गिरावट के साथ 20,852.38 पर जाकर। लेकिन घबराने की कोई बात नहीं। यह सब कुछ नहीं, बस मछली पकड़ने के जाल जैसा काम है। जाल को नीचे तक ले जाओ ताकि और मछलियां पकड़ में आ जाएं। बाजार अब पूरी तरह नियंत्रण में है और उतार-चढ़ाव इसलिए लाए जा रहे हैं ताकि आप यहां से वहां तक झूल, या कहें तो झूमऔरऔर भी

सामाजिक सरोकार से दूर-दूर तक नाता न रखनेवाला रिलायंस समूह अगर ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकसित करने से भाग खड़ा हो तो कोई बात नहीं, लेकिन टाटा जैसा समूह रुचि न दिखाए तो आश्चर्य होता है। लेकिन हुआ यही। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के गांवों में शहरों जैसी सुविधाएं मुहैया कराने के सपने को हकीकत में बदलने की कवायद में ग्रामीण विकास मंत्रालय जुट गया है। 248 करोड़ रुपए का पायलट प्रोजेक्ट जनवरी 2011 में चालू होऔरऔर भी