कोई भी उपभोक्ता अब किसी सामान या सेवा में खामी पर अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करा सकता है। सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण कानून में ऐसे कई संशोधनों वाला विधेयक पिछले महाने लोकसभा में पेश किया है। इसमें जिला उपभोक्ता अदालतों की ताकत बढ़ाना भी शामिल है। इन संशोधन का मकसद उपभोक्ता विवादों को जल्द से जल्द निपटाने की स्थितियां पैदा करनी है। नए विधेयक के अनुसार कोई भी ग्राहक अपनी शिकायत से लेकर निर्धारित फीस तक ऑनलाइनऔरऔर भी

सरकार ने पेट्रोल से लेकर डीजल, रसोई गैस और केरोसिन के दामों पर छाई धुंध को साफ करने के लिए ऑनलाइन जानकारी उपलब्ध करानी शुरू कर दी है। सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियां – इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम व भारत पेट्रोलियम ने पेट्रोल कीमतों के बारे में विस्तृत जानकारी पेट्रोलियम मंत्रालय संबद्ध पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल की वेबसाइट पर डालनी शुरू कर दी है। यहां कच्चे के आयातित मूल्य से लेकर अंडर-रिकवरी व सरकार की तरफ सेऔरऔर भी

चीन का भ्रष्टाचार निरोधी सुप्रीम पीपुल्स प्रोक्युरैटोरेट (एसपीपी) भ्रष्ट अधिकारियों पर नजर रखने की नीति के तहत भ्रष्टाचार के मामलों में सजा पाए व्यक्तियों का एक राष्ट्रीय ऑनलाइन डाटाबेस स्थापित करेगा। एसपीपी का नया डाटाबेस इस साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगा। चीनी समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने एसपीपी के बयान के हवाले बताया है कि यह डाटाबेस नीलामी और सरकारी खरीद प्रक्रियाओं के लिए एक नियंत्रण तंत्र के तौर पर काम करेगा। बता दें किऔरऔर भी

बिहार पूरे देश का इकलौता राज्य है जहां सूचना अधिकार (आरटीआई) के तहत ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। वहां कोई भी कोई भी व्यक्ति किसी भी स्थान से 155311 पर फोन करके आवेदन लिखवा सकता है जिसे संबंधित कार्यालय के पीआईओ को डाक/ई-मेल द्वारा भेज दिया जाता है। इस व्यवस्था को आगे बढ़ाते हुए अब आम आदमी को ऑनलाइन आरटीआई आवेदन दर्ज कराने की सुविधा दे दी गई है। इस तरह की सुविधा न तो महाराष्ट्रऔरऔर भी

कहते हैं कि ग्राहक भगवान होता है पर अभी कुछ समय पहले तक भारत की बीमा कंपनियों का सोचना इससे उलट था। उनके लिए पॉलिसीधारक ऐसा निरीह प्राणी होता था जो शायद परेशानी सहने के लिए अभिशप्त है। लेकिन बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (आईआरडीए या इरडा) की पहल से अब माहौल बदल चुका है। कैसी समस्याएं: अमूमन जीवन बीमा पॉलिसीधारकों को जो समस्याएं सताती हैं उनमें खास हैं – पॉलिसी बांड नहीं मिला, गलत पॉलिसी बांडऔरऔर भी

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) राजधानी दिल्ली में होनेवाले संपत्ति के लेन-देन संबंधी सभी मामलों को सार्वजनिक करने पर विचार कर रहा है। इस बारे में उसने दिल्ली सरकार से उसकी राय पूछी है। मामला आरटीआई एक्ट (सूचना अधिकार कानून) के तहत दाखिल एस पी मनचंदा के आवेदन से जुड़ा है। उन्होंने दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग से 2000 में उसकी संपत्ति के व्यापार से जुड़ी पंजीकरण जानकारी मांगी थी। लेकिन उन्हें बताया गया कि विभाग संपत्ति केऔरऔर भी

अभी तक केवल कंपनियों और पार्टनरशिप फर्मों के लिए ही आयकर रिटर्न इलेट्रॉनिक रूप से भरना जरूरी है। लेकिन अब इसमें उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) को भी शामिल कर दिया गया है जिसके खातों का अंकेक्षण आयकर एक्ट 1961 की धारा 44 एबी के तहत होता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इसकी अधिसूचना 9 जुलाई 2010 को जारी कर दी है और गजट में प्रकाशित होते ही यह नियम लागू हो जाएगा।औरऔर भी

देश की आधी से ज्यादा आबादी के दूरसंचार सेवाओं से जुड़ जाने के बावजूद इंटरनेट की पहुंच अभी तक बहुत सीमित है। ब्रॉडबैंड कनेक्शन की संख्या महज 92.4 लाख है। लेकिन ऑनलाइन सेवाओं का चलन बढ़ रहा है। 10 फीसदी टैक्स-रिटर्न ऑनलाइन भरे जा रहे हैं। रेलवे से लेकर प्लेन तक के 40 फीसदी टिकट ऑनलाइन बुक किए जा रहे हैं। महानगरों में लोग सालोंसाल अपनी बैंक शाखा का मुंह तक नहीं देखते। शेयरों के बाद अबऔरऔर भी

अगर केंद्र के सूचना प्रौद्योगिक मंत्रालय के दावे को सही मानें तो दो-ढाई साल भर के भीतर देश के सभी 626 जिलों में पेंशन, राशन कार्ड, दीवानी अदालतों के मुकदमे, जाति व विवाह के प्रमाण-पत्र, आय और रोजगार प्रमाण पत्र का सारा कामकाज ऑनलाइन हो जाएगा। ऐसी छह से दस सेवाएं हैं जिनका सारा लेखा-जोखा डिजिटल रूप में रखा किया जाएगा। मंत्रालय यह काम ई-डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट के तहत करवाएगा और यह प्रोजेक्ट चार-पांच महीनों में शुरू करऔरऔर भी