हम हिंदुस्तानी फालतू माथा फोड़ते हैं कि ग्रह-नक्षत्रों की चाल हमारे जीवन को कैसे चलाती है। लेकिन इस पर कम दिमाग लगाते हैं कि खुद हम इंसानों का सामूहिक बर्ताव क्या और कैसे गुल खिलाता है। शेयर बाजार में खरीदने व बेचनेवालों के सामूहिक मन को कैप्चर करता है परिष्कृत सॉफ्टवेयरों की मदद से टेक्निकल एनालिसिस। पर वो बस दशा बताता है, दिशा नहीं देता। दिशा जानने के सूत्र भिन्न हैं। बताएंगे बाद में। अभी हाल बाज़ारऔरऔर भी

कहा जाता है कि झूठ तीन तरह के होते हैं – झूठ, शापित झूठ और आंकड़े। इसमें अगर आंकड़े भी खुद झूठे निकल जाएं तो झूठ की तो पराकाष्ठा हो जाती है। मामला कोढ़ में खाज का हो जाता है। गुरुवार को ऐसा ही हुआ, जब सरकार ने फरवरी के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़ों को जारी करने के साथ ही बताया कि उसने जनवरी में आईआईपी के 6.8 फीसदी बढ़ने की जो बात कही थी,औरऔर भी

shri yantra

पुराने वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही बीत ली। नए वित्त वर्ष की पहली तिमाही शुरू हो गई। तो, हम भी पुरानी छायाओ से मुक्त होकर नई शुरूआत कर रहे हैं। मनोगत धारणाओं के बजाय सही तथ्यों की रौशनी में सत्य को पकड़ने की कोशिश में लगेंगे। यहां अब से शेयर बाजार ही नहीं, म्यूचुअल फंड, बैंकिंग व बांड, विदेशी मुद्रा और कमोडिटी बाजार की नब्ज पकड़ने की कला का अभ्यास करेंगे। मेहनत से मुठ्ठी भर मंत्र जुटाएंगे।औरऔर भी

बड़े-बड़े विद्वानों और अर्थशास्त्रियों का अनुमान था कि जनवरी में भारत का औद्योगिक उत्पादन बहुत बढ़ा तो साल भर पहले की अपेक्षा 2.1 फीसदी ही बढ़ेगा। इस निराशा की वजह थी कि अक्टूबर 2011 में औद्योगिक उद्पादन बढ़ने के बजाय 5.1 फीसदी घट गया था। इसके अगले महीने नवंबर में यह 5.9 फीसदी बढ़ा, पर दिसंबर में फिर बढ़ने की रफ्तार घटकर 1.8 फीसदी पर आ गई। लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से सोमवार को जारी त्वरितऔरऔर भी

अर्थशास्त्रियों को उम्मीद थी कि अक्टूबर में 4.7 फीसदी घटने के बाद नवंबर में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) जिस तरह 5.9 फीसदी बढ़ा था, उसे देखते हुए दिसंबर में आईआईपी की वृद्धि दर 3.4 फीसदी तो रहनी ही चाहिए। लेकिन सीएसओ (केंद्रीय सांख्यिकी संगठन) की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन में वास्वतिक वृद्धि मात्र 1.8 फीसदी की हुई है। साल भर पहले दिसंबर 2010 में यह वृद्धि दर 8.1 फीसदी रही थी।औरऔर भी

पहले औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के बढ़ने की दर दिसंबर में घटकर 1.8 फीसदी रह जाने की खबर आई। फिर यह खबर आ गई कि मॉरगन स्टैनली कैपिटल इंटरनेशनल (एमएससीआई) ने उभरते बाज़ारों में कैश होल्डिंग शून्य से बढ़ाकर दो फीसदी कर ली है। इन दो खबरों ने बाजार में घबराहट फैला दी। सभी लोग खटाखट लांग सौदे काटकर शॉर्ट सौदे करने में जुट गए। पंटर भाई लोग तो 5200 से ही शॉर्ट हुए पड़े हैं जिनमेंऔरऔर भी

देश की फैक्ट्रियों, खदानों और बिजली जैसी सेवाओं में कैसा कामकाज हुआ, इसे दर्शानेवाला औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) नवंबर महीने में साल भर पहले की अपेक्षा 5.9 फीसदी बढ़ गया है। यह किसी भी अर्थशास्त्री के अनुमान से अधिक है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इस बाबत 32 अर्थशास्त्रियों के बीच रायशुमारी कराई थी, जिनका न्यूनतम अनुमान 4 फीसदी घटने से लेकर अधिकतम 5.6 फीसदी बढ़ने का था। इनका औसत अनुमान 2.2 फीसदी का था। बता दें किऔरऔर भी

बाजार में जबरदस्त चर्चा है कि मंदड़ियों ने कई दिग्गज स्टॉक्स को धूल चटाने की ठान ली है। उनके नए लक्ष्य जानकर आपका माथा चकरा जाएगा। वे इनफोसिस को 699 रुपए, रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) को 599 रुपए और एसबीआई को 899 रुपए पर पहुंचाने की ठान चुके हैं। जबकि इनफोसिस अभी 1755 रुपए, आरआईएल 745 रुपए और एसबीआई 1790 रुपए के आसपास चल रहा है। इससे आप मंदड़ियों का मंसूबा भांप सकते हैं। इसे भांपकर बहुत सेऔरऔर भी

देश का औद्योगिक उत्पादन अक्टूबर महीने में बढ़ने की जगह 5.10 फीसदी घट गया है। सरकार की तरफ से सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) अक्टूबर 2011 में पिछले साल अक्टूबर की तुलना में 5.10 फीसदी घट गया है। पिछले साल अक्टूबर में आईआईपी साल भर पहले की तुलना में 11.3 फीसदी बढ़ गया था। औद्योगिक मोर्चे पर इससे ज्यादा विकट स्थिति साल 2009 के शुरुआती तीन महीनों में ही हुई थी, जबकिऔरऔर भी

बाजार में शुरुआती भाव बढ़त की उम्मीद का रहा क्योंकि पिछले दो सत्रों में भारी गिरावट हो चुकी थी। सूचकांक बढ़कर खुले। लेकिन फिर शॉर्ट सौदों की मार शुरू हो गई। बहुत सारे धुर जुआरियों में ट्रेडिंग के दम पर रातोंरात लाखों कमाने की चाहत अब भी जोर मार रही है। इनमें से कुछ लोग बाजार में सुधार आने की उम्मीद में ट्रेड कर रहे हैं तो बहुत से लोग गिरावट पर ही खेलना चाहते हैं। और,औरऔर भी