दिमाग में न जाने कितने विचलन, आग्रह-दुराग्रह भरे रहते हैं हम। इसलिए कि विरासत या संयोग से मिली सुरक्षा का कवच हमें बचाए रखता है। लेकिन खुलकर खिलना है तो यह कवच तोड़कर खुले में आना होगा।और भीऔर भी