अभी तक रिजर्व बैंक के गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव अपनी अघोषित जिद पर अड़े हुए थे कि जब तक केंद्र सरकार राजकोषीय मोर्चे पर कुछ नहीं करती या दूसरे शब्दों में अपने खजाने का बंदोबस्त दुरुस्त नहीं करती, तब तक वे मौद्रिक मोर्चे पर ढील नहीं देंगे। यही वजह है कि पिछले दो सालों में 13 बार ब्याज दरें बढ़ाने के बाद रिजर्व बैंक ने इस साल अप्रैल में इसमें एकबारगी आधा फीसदी कमी करके फिर हाथ बांधऔरऔर भी

पेट्रोलियम मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने संकेत दिया है कि सरकार तुरंत डीजल या रसोई गैस के दाम नहीं बढ़ाएगी, भले ही रुपए में कमजोरी से आयातित कच्चे तेल की लागत बढ़ रही है। उन्होंने गुरुवार को संसद भवन में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘रुपए में कमजोरी ने स्वाभाविक रूप से अप्रत्याशित दिक्कत पैदा कर दी है। इससे वित्त वर्ष 2011-12 में तेल कंपनियों की अंडर रिकवरी 1.32 लाख करोड़ रुपए रहेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसऔरऔर भी

केंद्र सरकार भले ही पेट्रोल की तरह सारे पेट्रोलियम उत्पादों के दाम को आखिरकार बाजार के हवाले कर देना चाहती है। लेकिन फिलहाल वह डीजल, मिट्टी के तेल और रसोई गैस के दाम बढ़ाने के बारे में नहीं सोच रही है। हालांकि, इन तीनों उत्पादों को बाजार मूल्य से कम दाम पर बेचने से तेल कंपनियों को रोजाना 360 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार इस समयऔरऔर भी

डॉलर के सापेक्ष रुपए के कमजोर होने का सीधा असर पेट्रोलियम पदार्थों की लागत पर पड़ता है। सितंबर के शुरू में एक डॉलर 46 रुपए का था। अभी 49 रुपए के आसपास है। डॉलर की विनिमय दर में हर एक रूपए की वृद्धि से देश में डीजल, केरोसिन व रसोई गैस की सालाना लागत 8000 करोड़ रुपए बढ़ जाती है। यानी, दो रुपए बढ़ने से 16,000 करोड़ और तीन रुपए बढ़ने से 24,000 करोड़। पेट्रोलियम मंत्री जयपालऔरऔर भी

रसोई गैस, केरोसिन और उर्वरक पर दी जानेवाली सब्सिडी तीन चरणों में सीधे लक्षित व्यक्ति के बैंक खाते में पहुंचा दी जाएगी। लेकिन इसमें सबसे बड़ा पेंच है कि सब्सिडी पानेवाले व्यक्ति के पास बैंक खाता तो हो। इसलिए लोगों तक सीधे सब्सिडी पहुंचाने के लिए वित्तीय समावेश कार्यक्रम को तेज करना अपरिहार्य है। यह बात कही है सारे देशवासियों को अलग पहचान देने के काम में लगी संस्था यूआईडीएआई (यूनीक आइडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के प्रमुखऔरऔर भी

सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 18 जून को समाप्त सप्ताह में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति की दर 7.78 फीसदी रही है, जबकि इससे ठीक पिछले हफ्ते इसकी दर 9.13 फीसदी थी। एक साल पहले जून महीने के समान सप्ताह में यह 20.12 फीसदी थी। लेकिन इसी दौरान ईंधन व बिजली की मुद्रास्फीति बढ़कर आठ हफ्तों के शिखर 12.98 फीसदी पर जा पहुंची। ठीक पिछले हफ्ते यह 12.84 फीसदी और साल भर पहले 12.54औरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने पेट्रोलियम उत्पादों के दाम में की गई वृद्धि को वापस लेने की संभावना से इनकार कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि कच्चे तेल व पेट्रोलियम उत्पादों पर कस्टम व एक्साइज शुल्क में कटौती से सरकार के राजकोषीय घाटे पर कोई असर नहीं होगा। यह पूछे जाने पर कि डीजल, घरेलू गैस व केरोसिन की कीमतों में वृद्धि में कुछ कमी की जाएगी, मुखर्जी ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडियाऔरऔर भी

आखिरकार तेल की धार बह निकली। शुक्रवार को बाजार बंद होने के कई घंटे बाद केंद्र सरकार ने हिम्मत करके डीजल के दाम 3 रुपए प्रति लीटर, केरोसिन के दाम 2 रुपए प्रति लीटर और रसोई गैस का दाम 50 रुपए प्रति सिलेंडर बढ़ा दिया। साथ ही उसने कच्चे तेल पर कस्टम ड्यूटी एकदम हटा दी, पेट्रोलियम पदार्थों पर कस्टम ड्यूटी घटा दी और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी काफी कम कर दी। केंद्र सरकार को इससे 49,000औरऔर भी

सरकार ने रसोई गैस सिलेंडर और मिट्टी तेल की मूल्य वृद्धि को वापस लेने से इनकार करते हुए कहा है कि इनमें की गई मूल्य वृद्धि बहुत अधिक नहीं है और इसका आम आदमी पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री मुरली देवरा से मंगलवार को जब संवाददाताओं ने मूल्य वृद्धि वापस लिए जाने पर सवाल पूछा तो उन्होंने पलटकर कहा, ‘‘हम क्या वापस लें। हमने मिट्टी तेल में मात्र तीन रुपए लीटर कीऔरऔर भी

ज्यादातर उस्ताद यही कह रहे हैं कि बाजार आज शुक्रवार को भारी बिकवाली का शिकार हो गया। लेकिन हम इससे सहमत नहीं हैं। हमारा तो कहना है कि जब सारी दुनिया से बुरी खबरें आ रही थीं, तब भी बाजार (निफ्टी) ने खुद को 5240 अंक पर टिकाए रखा। अगले हफ्ते मेटल सेक्टर के शेयर स्टार परफॉर्मर होंगे। चाहे जो भी हो जाए, मेटल शेयरों में जल्दी ही कम से कम 25 फीसदी बढ़त होनी तय है।औरऔर भी