दिल्ली हाईकोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में यूनिटेक के प्रबंध निदेशक संजय चन्द्रा और रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह के प्रबंध निदेशक गौतम दोशी समेत विभिन्न कंपनियों के पांच बड़े अधिकारियों की जमानत की याचिका सोमवार को खारिज कर दी। इनमें डीबी रीयल्टी के प्रवर्तक विनोद गोयनका और रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह के अधिकारी हरि नायर और सुरेन्द्र पिपारा की अर्जी भी शामिल हैं। ये सभी आरोपी 20 अप्रैल से जेल में हैं। न्यायमूर्ति अजितऔरऔर भी

पूंजी बाजार नियामक संस्था ने तय किया है कि म्यूचुअल फंडों की लिक्विड स्कीमों (छोटी अवधि की ऋण स्कीमों) के खाते में जब तक निवेश की पूरी रकम नहीं आ जाती है, तब तक उसके एवज में यूनिटें नहीं जारी की जा सकती हैं। अभी तक होता यह है कि दिन में नियत समय तक पैसा आए या न आए, म्यूचुअल फंड इन स्कीमों के निवेशकों के नाम यूनिटें आवंटित कर देते हैं। वे इस भरोसे परऔरऔर भी

संवेदनाशून्यता और बेशर्मी की हद है ये बाजार। कॉरपोरेट प्रॉफिट उन जांबाज लुटेरों की लूट की तरह है जो यूरोप के देशों से जहाजों में निकल कर शेष महाद्वीपों से लाया करते थे। आज तकनीक के आविष्कार ने उस लूट को जरा सभ्यता का जामा पहना दिया है। तलवार और तोप के स्थान पर कागज और कैल्क्यूलेटर या लैपटॉप आ गए हैं। दुनिया भर की आर्थिक विषमता इस बात का सबूत है। इधर जुही चावला का कुरकुरे का एक विज्ञापनऔरऔर भी

हमारी बाजार नियामक संस्था, सेबी और गरीब रिटेल निवेशक कितने असहाय हैं, इसे इंडिया फॉयल्स के स्टॉक से समझा जा सकता है। हम पहले भी लिख चुके हैं कि किस तरह इंडिया फॉयल्स के नए प्रवर्तक एस डी (Ess Dee) ग्रुप ने इसके शेयर खुले बाजार में 20 रुपए के भाव पर बेचे और इसका भाव 5 रुपए या उससे से भी नीचे ले गए। इसके बाद कुछ शेयरधारक कंपनी प्रबंधन से मिले तो उन्हें समझा दियाऔरऔर भी

आम भारतीय मानसिकता संपत्ति को भौतिक रूप में देखने-महसूस करने की है। हम धन को गाड़कर रखते रहे हैं। अब भी जमीन से हमारा गहरा जुड़ाव है और हमारी आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा संपत्ति को भौतिक रूप में ही देखना चाहता है। लेकिन डीमैट के इस दौर में संपत्ति को भौतिक रूप से देखने का मनोविज्ञान नहीं चल सकता। इसे तोड़ना होगा, बदलना होगा, जिसके लिए शिक्षा जरूरी है। इससे हम नक्सली हिंसा व अशांति कोऔरऔर भी

दो साल पुराने वैश्विक वित्तीय संकट के बाद बैंकिंग व फाइनेंस क्षेत्र के निवेश को सबसे ज्यादा जोखिम भरा माना जाने लगा है। लेकिन हमारे म्यूचुअल फंडों ने अपना सबसे ज्यादा निवेश इसी क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में कर रखा है। पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी को एम्फी (एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया) के मिली जानकारी के मुताबिक मई अंत तक  म्यूचुअल फंडों ने अपनी कुल आस्तियों का 14.14 फीसदी हिस्सा बैंकों और 5.01 फीसदीऔरऔर भी

वित्त वर्ष 2010-11 में अप्रैल से जून की तिमाही का एडवांस टैक्स भरने की आखिरी तारीख सरकार के लिए अच्छा संकेत लेकर आई है। आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक इस बार ज्यादातर कंपनियों ने पहले से कई गुना अधिक टैक्स जमा कराया है। देश में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इस साल पहली तिमाही में 653 करोड़ रुपए का एडवांस टैक्स जमा कराया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही मेंऔरऔर भी