सारा का सारा बाजार कल यह उम्मीद लगा बैठा था कि निफ्टी आज 5200 के ऊपर खुलेगा। यह अलग बात है कि हमने धारा के खिलाफ जाकर खरीदने के बजाय निफ्टी में बेचने की सलाह दे रखी थी। हुआ यह कि प्री-ओपन सत्र में ही निफ्टी कल से 1.02 फीसदी गिरकर 5086.55 पर पहुंच गया। फिर गिरता-गिरता 5033.95 तक जाने के बाद दिन के अंत में थोड़ा सुधरकर 0.92 फीसदी की गिरावट के साथ 5091.90 पर बंदऔरऔर भी

जहां सारे कुएं में भांग पड़ी हो, वहां समझदारी की बात करना बेवकूफी है। हमारे शेयर बाजार का यही हाल है। ऑपरेटर, म्यूचुअल फंड और एफआईआई अंदर की खबरों पर काम करते हैं। बाजार इतना छिछला व छिछोरा है कि इनकी खरीद की खबर भी अंदर की खबर बन जाती है। खिलाड़ी लोग इन्हीं खबरों के आधार पर खेल करते हैं। कुछ हैं जो इन्हें कहीं न कहीं फुसफुसा देते हैं। ऐसे लोग गिने-चुने हैं। कुछ हैंऔरऔर भी

अगर आम निवेशक पिछले साल आए आईपीओ (शुरुआती पब्लिक ऑफर) के ताजा हाल से दुखी हैं तो कंपनियों से सीधे क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेटसमेंट या क्यूआईपी में शेयर खरीदने वाले संस्थागत निवेशकों की हालत भी अच्छी नहीं है। साल 2010 में आए 55 में 31 आईपीओ के भाव इश्यू मूल्य से नीचे चल रहे हैं तो इस दौरान हुए 50 क्यूआईपी में से 33 ने अभी तक घाटा दिलाया है। क्रिसिल इक्विटीज के एक अध्ययन के मुताबिक 2010औरऔर भी

ओम्निटेक इनफोसोल्यूशंस का 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल बीएसई (कोड – 532882) में 8.47 फीसदी उछल कर 152.40 रुपए और एनएसई में 7.92 फीसदी उछल कर 151.30 रुपए पर बंद हुआ है। इसके बावजूद सस्ता है क्योंकि उसका टीटीएम (ठीक पिछले बारह महीनों का) ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 39.32 रुपए है और इस तरह वो केवल 3.88 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। असल में इधर एफआईआई अपना ध्यान बड़ी आईटी कंपनियों सेऔरऔर भी

रैडिको खैतान का शेयर (बीएसई – 532497, एनएसई – RADICO) पिछले छह महीने में करीब 27 फीसदी गिर चुका है। अक्टूबर 2010 में 178 रुपए पर था। अब 130 रुपए के आसपास है। जबकि इस दरम्यान कंपनी ने अपने ऊपर कर्ज का बोझ घटा लिया है और दिसंबर तिमाही के उसके नतीजे भी ठीकठाक हैं। उसने अभी-अभी बीते वित्त वर्ष 2010-11 की तीसरी तिमाही में 272.95 करोड़ रुपए की बिक्री पर 20.48 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभऔरऔर भी

कोई शेयर अगर महज 4 के पी/अनुपात पर ट्रेड हो रहा हो, उसकी बुक वैल्यू ही बाजार में भाव से ज्यादा हो और अचानक उसमें वोल्यूम बढ़ जाए, वो भी बिना किसी बल्क या ब्लॉक डील के तो समझ लीजिए कि 24 कैरेट का सोना ऑपरेटरों के खोट के साथ मिलकर जेवर बनाकर पहनने लायक हो गया है। जी हां, वर्धमान टेक्सटाइल्स (बीएसई – 502986, एनएसई – VTL) का हाल इस समय ऐसा ही है। कंपनी काऔरऔर भी

नाम है तिलकनगर इंडस्ट्रीज, धंधा है दारू का। कुछ लोगों को परहेज हो सकता है कि शराब, सिगरेट व गुटखा जैसी नशीली चीजें बनानेवाली कंपनियों में निवेश नहीं करेंगे। अच्छी बात है। हालांकि धंधा तो धंधा होता है और हमें यही देखना है कि हमारी पूंजी कहां बढ़ सकती है। महाभारत खत्म होने पर श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को धर्म की शिक्षा लेने के लिए एक कसाई के पास भेजा था। खैर, तिलकनगर इंडस्ट्रीज (बीएसई – 507205,औरऔर भी

कभी-कभी शेयर बाजार से आ रही खबरों को देखकर लगता है कि यहां चालबाजों और संस्थाओं का ही खेल चलता है। चालबाज भावों के साथ खेलते हैं और देशी-विदेशी संस्थाओं का अपना जोड़तोड़ है। लेकिन यही पूरा सच नहीं है। शेयर बाजार में वाजिब निवेशक भी है और उनकी खरीद भी समझदारी भरी होती है। ऐसे निवेशक इस समय बॉटम फिशिंग या तलहटी पर पहुंचे मजबूत शेयरों को खरीदने में जुट गए हैं। इसका छोटा-सा अंदाज इससेऔरऔर भी

रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) की एजीएम के एजेंडा के बारे में कल एक ऐसी अफवाह उड़ाई गई, जो सचमुच बेहद चौंकानेवाली थी। बड़ी अजीब बात है कि प्रबंधन कुछ तय करे या न करे, बाजार के खिलाड़ी उससे पहले ही मनगढ़ंत एजेंडा तय कर देते हैं। आज सुबह हमारी मीटिंग में इस पर चर्चा हुई और पाया गया कि आरआईएल के बारे में उड़ाई गई बात एकदम असंभव है। यह उसी तरह की शरारत थी जैसी हमने कलऔरऔर भी

वित्तीय क्षेत्र के नियामकों के अधिकार क्षेत्र के एक-दूसरे में घुसने की समस्या बढ़ती जा रही है। अभी यूलिप पर पूंजी बाजार की नियामक संस्था, सेबी और बीमा क्षेत्र की नियामक संस्था, आईआरडीए के बीच मची मार किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है कि बैंकिंग क्षेत्र के नियामक, रिजर्व बैंक ने तय कर दिया है कि निजी क्षेत्र के किसी भी बैंक को क्यूआईपी (क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट) से पहले उससे अनुमति लेनी पड़ेगी। आज रिजर्व बैंक नेऔरऔर भी