अगर आप अपने से खुश हैं तो दुनिया भी आपकी परवाह करेगी। लेकिन अगर आप खुद अपने से ही दुखी हैं तो भगवान भी आपको नहीं बचा सकता। इसलिए अपनी कमियों व खूबियों का सही अहसास जरूरी है। न तो आत्ममुग्धता और न ही आत्मदया।और भीऔर भी

हम जीते-जी इंसान में भगवान तलाशते रहते हैं। खूबियां छोड़ उसकी खामियां निकालते हैं। पर मरते ही महिमामंडित करके भगवान बना देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वायवी व मायावी भगवान के आगे हमें छोटा बनना मंजूर है, असली इंसान के आगे नहीं।और भीऔर भी