पाप कभी स्थाई नहीं होता। उसे अपरिहार्य या नियति मानना गलत है। सामूहिक हालात और व्यक्तिगत विवेक को हमेशा बेहतर, शुद्ध व तेजस्वी बनाया जा सकता है। इसलिए क्षण के स्थायित्व पर नहीं, उसकी गतिशीलता पर यकीन करें।और भीऔर भी

हमारे अंदर-बाहर हर वक्त जड़ता व गतिशीलता के बीच संघर्ष चलता रहता है। लड़कर खड़े नहीं हुए तो जड़ता खींचकर बैठा देती है। भ्रम और पूर्वाग्रह जड़ता के सहचर हैं, जबकि ज्ञान-विज्ञान गतिशीलता के।और भीऔर भी