हमारी 57% जमीन भूकंप के प्रति संवेदनशील ज़ोन में आती है और देश की दो-तिहाई आबादी इन्हीं इलाकों में रहती है। देश के 27 शहरों की आबादी दस लाख या इससे अधिक है और हमारी कुल शहरी आबादी का करीब 25% हिस्सा इन्हीं शहरों में रहता है। पिछले कुछ सालों में सामाजिक-आर्थिक वजहों से शहरों पर बोझ बढ़ता गया है। पृथ्वी विज्ञान मंत्री विलासराव देशमुख का कहना है कि भूकंप के खतरों को कम करने के प्रयासऔरऔर भी

कर्नाटक सरकार ने बैगलोर मैसूर एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए एक कंपनी द्वारा अधिग्रहीत तीन गांवों की 1916 एकड़ जमीन के लिए मुआवजे की रकम कई गुना बढ़ाने का निर्णय लिया है। जहां पहले प्रति एकड़ 1.5 लाख रुपए मुआवजा मिलना था, वहीं अब इसकी दर 40-41 लाख प्रति एकड़ कर दी गई है। गुरुवार को राज्य सरकार ने यह फैसला किया। नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरीडोर एंटरप्राइसेज ने बैगलोर दक्षिणी तालुक में केंगेरी के बाहरी इलाके में तीन गावोंऔरऔर भी

वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार देश में आदिवासियों की आबादी आठ करोड़ से अधिक है जिनमें से 7.73 करोड़ ग्रामीण इलाकों में और केवल 70 लाख शहरी इलाकों में रहते हैं। 12 राज्यों में आदिवासियों के 2474 गांव हैं और इनमें असम के वनों में बसे गांवों की संख्या सबसे ज्यादा है। असम में आदिवासियों के 499 गांव हैं जबकि उत्तर प्रदेश में सबसे कम 12 गांव हैं। केंद्र सरकार ने अभी तक राष्ट्रीय आदिवासी नीतिऔरऔर भी

हर गांव में बनाए जाएंगे दलहन के फाउंडेशन बीजों के लघु गोदाम। आधा एकड़ खेत के लिए बीज की आपूर्ति आधे दाम पर की जाएगी। सरकार की कोशिशें कामयाब हुईं तो आनेवाले सालों में रोटी के साथ दाल भी मयस्सर हो सकती है। देश में दाल की कमी और उसकी बढ़ती कीमतों से परेशान सरकार सारे विकल्पों को आजमाने में जुट गई है। इसके तहत पहले दलहन ग्राम और अब बीज ग्राम बसाने की योजना पर अमलऔरऔर भी

कविवर बिहारी का यह दोहा आपको भी याद होगा कि रे गंधि! मतिअंध तू, अतरि दिखावत काहि, कर अंजुरि को आचमन, मीठो कहत सराहि। सुगंध बेचनेवाले तू इन लोगों को इत्र दिखाने की मूर्खता क्यों कर रहा है। ये लोग तो इत्र को अंजुरी में लेकर चखेंगे और कहेंगे कि वाह, कितनी मीठी है। लेकिन कभी-कभी मूर्खता दिखाने में भी फायदा होता है। कैसे? तो… आपको एक कहानी सुनाता हूं। एक समय की बात है। उज्जैनी राज्यऔरऔर भी

वित्त वर्ष 2010-11 के बजट में वर्षा आधारित इलाकों के 60,000 गांवों को दलहन व तिलहन गांवों के रूप में चुना गया है। इनके लिए कुल 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। यानी, हर गांव के लिए केवल 50 हजार रुपए रखे गए हैं। कृषि व उपभोक्ता मामलों के राज्यमंत्री प्रोफेसर के वी थॉमस ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि यह धन राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अधीन अतिरिक्त केंद्रीय सहायता के रूप मेंऔरऔर भी