शुक्रवार को शेयर बाजार में मिड कैप व स्मॉल कैप कंपनियों को तगड़ा झटका लगा। यूं तो सेंसेक्स व निफ्टी में क्रमशः 0.55 फीसदी और 0.59 फीसदी की ही गिरावट आई है, लेकिन 137 मिड व स्मॉल कैप कंपनियों के शेयर अब तक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए, जबकि 343 कंपनियों पर निचला सर्किट ब्रेकर लगा। अगर ये सर्किट ब्रेकर न होते तो न जाने उनमें कितनी गिरावट आ जाती। बाजार के कारोबारियों का कहना हैऔरऔर भी

यहां तक कि अमेरिकी बाजार भी करीब 330 अंक उठने के बाद अंत में 147 अंकों की बढ़त लेकर बंद हुआ। लेकिन अपना शेयर बाजार सपाट खुला और मुनाफावसूली के चलते गिरता चला गया। या, इसे आप रोलओवर का असर भी मान सकते हैं। निफ्टी 0.51 फीसदी की गिरावट के साथ 4945.90 पर बंद हुआ, जबकि 0.47 फीसदी की गिरावट के साथ 16,446.02 पर। यूं तो निफ्टी के 4860 तक गिरने के आसार अब भी बने हुएऔरऔर भी

कल बाजार ने ज्यादा गिरावट को संभाल लिया और आज सुबह से बढ़ना शुरू हुआ तो लगातार बढ़ता ही गया। आज निफ्टी 2.81 फीसदी बढ़कर 4971.25 और सेंसेक्स 2.95 फीसदी बढ़कर 16,524.03 पर बंद हुआ। भारतीय शेयर बाजार के इस बर्ताव में जबरदस्त अचंभे का तत्व है जिसे देखने-समझने की जरूरत है। मैं आपको बताता रहा हूं कि अभी के दौर में बाजार का आगे बढ़ना बेहद मुश्किल है क्योंकि दुनिया के बाजारों के साथ ही भारतीयऔरऔर भी

थाईलैंड का शेयर बाजार 8 फीसदी लुढ़क गया। यह दिखाता है कि एशिया में किस कदर घबराहट फैली हुई है। लेकिन भारत में कमजोर रोलओवर के कारण एक बार फिर थोड़ा सुधार होता दिखा। इस बीच वायदा कारोबार में चांदी गिरकर 47,000 रुपए प्रति किलो तक जा पहुंची जो हमारे 49,000 रुपए के अनुमान से भी नीचे है। लेकिन कैश बाजार में 3000 रुपए का प्रीमियम है जिससे हाजिर चांदी 50,000 रुपए के भाव में मिल रहीऔरऔर भी

हां, यह सच है कि कैश सेगमेंट में कल एफआईआई की शुद्ध 1305.55 करोड़ रुपए की भारी-भरकम बिकवाली घरेलू निवेशक संस्थाओं (डीआईआई) की 743.47 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीद पर भारी पड़ी और बाजार एकदम धराशाई हो गया। हालांकि कैश सेगमेंट की स्थिति तो बिना जहर वाले सांप जैसी है। सरकार पहले ही फिजिकल सेटलमेंट की सहूलियत न देकर बाजार का जहर निकाल चुकी है और फिलहाल किसी में दम नहीं है कि वह भारतीय हलके मेंऔरऔर भी

अंदेशा था डाउ जोंस के 200 अंक और निफ्टी के 100 अंक गिर जाने का। लेकिन लगता है कि जैसे अपने यहां भाई लोग भरे बैठे थे। अमेरिका में फेडरल ओपन मार्केट कमिटी ने ऐसा कोई फैसला नहीं किया जिसकी अपेक्षा नहीं थी। सबको पता था और हमने भी लिखा था कि ऑपरेशन ट्विस्ट आना है और क्यूई-3 की गुंजाइश नहीं है। लेकिन मौका मिलते ही उस्तादों ने बाजार को धुन डाला। बीएसई सेंसेक्स का 704 अंकऔरऔर भी

हां, सुबह-सुबह निफ्टी के वापस 5170 के करीब आ जाने के बाद थोड़ा करेक्शन तो होना ही था। निफ्टी बंद हुआ है कल से 6.95 अंकों की मामूली गिरावट के साथ 5133.25 पर। अब 5000 को नया धरातल मानकर चलें जहां से बाजार खुद को जमाने के बाद ऊपर की ओर कूच करेगा। वैसे, कितनी अजीब बात है कि जब बाजार बढ़ रहा है तो ट्रेडर व निवेशक सेटलमेंट की खतरनाक फांस को एकदम भूल ही गएऔरऔर भी

सरकार ने सुबह से शाम तक बाजार को बचाने की हरचंद कोशिश कर डाली। यही वजह है कि बीएसई सेंसेक्स की गिरावट 1.82 फीसदी तक सिमट गई। सेंसेक्स अभी 16,990.18 अंकों पर चौदह माह के न्यूनतम स्तर पर है। लेकिन आगे इसमें ज्यादा सेंध लगने की उम्मीद कम है। वित्त मंत्रालय के सलाहकार, योजना आयोग व उद्योग संगठनों से लेकर खुद वित्त मंत्री ने आश्वस्त किया है कि भारत की विकासगाथा अक्षुण्ण है और हमारी अर्थव्यवस्था केऔरऔर भी

कितने लोग जानते हैं कि टीटीके प्रेस्टिज को हमने पांच साल पहले 90 रुपए पर खरीदने की सलाह दी थी। हफ्ते भर पहले यह 3200 रुपए पर था। इस स्टॉक को फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफ एंड ओ) में रखे जाने की कोई जरूरत नहीं थी। फिर भी इसे एफ एंड ओ में डाल दिया गया और मंदड़िए अब इसे अपना आसान शिकार बनाएंगे। जिनके पास भी यह स्टॉक बड़ी मात्रा में हैं, उन्होंने डिलीवरी के एवज मेंऔरऔर भी

निफ्टी और सेंसेक्स दोनों लगभग सपाट। लेकिन बाजार में छाई निराशा का कोई अंत नहीं है। ट्रेडर हलकान हैं। निवेशक अपनी गाढ़ी कमाई को लेकर परेशान हैं। वे तमाम ऐसी कंपनियों में कसकर फंस चुके हैं, जिनके शेयर अच्छे फंडामेंटल्स के बावजूद उनकी खरीद के भाव से नीचे ही नीचे चल रहे हैं। दरअसल, बाजार अपना मूल चरित्र खो चुका है और उस पर सट्टेबाजी और जोड़तोड़ हावी हो गई है। हालत यह है कि आज बोगसऔरऔर भी