सब कुछ चलायमान हो तो रुक कर योजना बनाने की फुरसत कैसे मिल सकती है! रुके नहीं कि आप पीछे छूट गए। समय के साथ चलना है तो चलते-चलते योजना बनाने का हुनर सीखना पड़ेगा।और भीऔर भी

चलने पर चौराहे नहीं, अठराहे भी मिल सकते हैं। लेकिन चलने से ही राहें खुलती हैं। चलिए तो समुद्र भी दोफाड़ होकर आपकी राह संवार देता है। तो, काहे रुके हो भाई! चलो तो सही। मंजिल आपकी बाट जोह रही है।और भीऔर भी

जो स्थिर है, बैठा है, चलता नहीं, वह गलता है। जो गतिशील है, चलता है, वही दोषों से मुक्ति पाकर शुद्ध व समर्थ बनता है। उपनिषद तक यही कहते हैं। इसलिए ठहरने का बहाना नहीं, चलने की राह खोजनी चाहिए।और भीऔर भी