सबक लो, बढ़ते चलो
2012-05-06
चीजें जो कल थीं, आज नहीं हैं। आज जैसी हैं, वैसी कल नहीं रहेंगी। परिवर्तन का यही नियम है। यही जीवन है। इसलिए कल से चिपके रहने या आज को लेकर रोते रहने का कोई मतलब नहीं। सबक लो, बढ़ते चलो। यही सही है और उचित भी।और भीऔर भी
मां की नज़र
2010-07-15
चीजें छोटी-छोटी करके ही बड़ी बनती हैं, तिल-तिल कर बढ़ती हैं। गर्भ में भ्रूण धीरे-धीरे आकार लेता है। औरों को कई महीने बाद पेट का आकार देखकर पता चलता है, लेकिन मां तो हर पल उसे पलता-बढ़ता देखती है।और भीऔर भी