तन है, मन है और आत्मा भी है। पदार्थ और चेतना के अलग-अलग स्वरूप हैं। आपस में ऐसे जुड़े हैं कि अलग हो ही नहीं सकते। एक के खत्म होने पर दूसरा खल्लास। इसलिए इन तीनों को स्वस्थ रखना जरूरी है।और भीऔर भी

हमारे शरीर में एक स्वतंत्र प्रणाली बराबर काम करती है। चेतना कोई फैसला करे, दिमाग इससे पहले ही फैसला कर चुका होता है। लेकिन इंसान होने का लाभ यह है कि चेतना दिमाग के फैसले को पलट भी सकती है।और भीऔर भी

सोने पर चेतना गायब और जगने पर वापस! बीच में जाती कहां है? कहीं नहीं। मानव मस्तिष्क में अरबों न्यूरॉन हैं जिनके बीच खरबों तार है। वे बराबर बतकही करते हैं। हमारे सोने पर चुपके से बतियाते हैं।और भीऔर भी