भगवान के भ्रमजाल में फंसानेवाला शख्स सच्चा गुरु नहीं हो सकता क्योंकि भगवान तो अपनी कमियों-कमजोरियों को पूरा करने के लिए खुद हमारे द्वारा समय व स्थान से हिसाब से गढ़ी गई छवि है।और भीऔर भी

बच्चा जन्म के कुछ दिन तक चीजों को उल्टा देखता है क्योंकि आंखें रेटिना पर उल्टी ही छवि बनाती हैं। फिर दिमाग सब कुछ सीधा दिखाने लगता है। कहीं जो हमें दिखता है, सच उसका उल्टा तो नहीं!!और भीऔर भी

देश की सबसे प्रतिष्ठित और दूसरी सबसे बडी सॉफ्टवेयर निर्यातक कंपनी इनफोसिस के रोजमर्रा के कामकाज से मुक्त होने के बाद एन आर नारायणमूर्ति नई सामाजिक भूमिका अपनाते दिख रहे हैं। कुछ दिन पहले ही उन्होंने अण्णा हज़ारे व अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं से समान राय रखते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री व न्यायपालिका को लोकपाल के अंतर्गत ले आना चाहिए, जबकि सरकार पूरी तरह इसके खिलाफ है। आज, शुक्रवार को उन्होंने बेलाग अंदाज में कह दिया किऔरऔर भी

हर शब्द के साथ कोई न कोई छवि या  पूर्वाग्रह जुड़ा है। शब्दों के परे वह अवस्था है जब हम शुद्ध क्रिस्टल की तरह निर्मल व पारदर्शी बन जाते है। पर वहां शब्दों से भागकर नहीं, मथकर ही पहुंचा जा सकता है।और भीऔर भी

विभिन्न घोटालों को लेकर सरकार पर चारों ओर से हो रहे हमलों के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार पर जोरदार प्रहार करते हुए कहा है कि यह सुशासन की जड़ों को खोखला करता है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि धूमिल करता है और अपने लोगों के आगे हमें शर्मिंदा करता है। शुक्रवार को दिल्ली में राज्यों के मुख्य सचिवों की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह एक चुनौती है जिसका मुकाबला हमेंऔरऔर भी

उबलते पानी में देखी छवि को सही कैसे मान लेते हो भाई? मन को शांत करो। गुस्से से बाहर निकलो। गुस्से से उबलती अपनी छवि के दर्शन करो। तभी जाकर असली छवि को देख पाएंगे आप।और भीऔर भी

अगर देश में कल चुनाव हो जाएं तो सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की सीटें अभी की 206 से घटकर 166 रह जाएंगी। इस तरह कांग्रेस को 40 सीटों का नुकसान उठाना पड़ेगा, जबकि मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी की सीटें अभी की 116 से 20 की बढ़त के साथ 136 हो जाएंगी। यह निष्कर्ष है एसी नीलसन और इंडिया टुडे पत्रिका द्वारा कराए गए ताजा जनमत सर्वेक्षण का। यह सर्वेक्षण देश के 19 राज्यों में 4 दिसंबर से 19औरऔर भी

आईने में अपनी छवि से लड़ती गौरैया को देखा है! हम भी इसी तरह अक्सर दूसरों में अपनी छवि से ही लड़ते रहते हैं। लड़ने के बाद भी समझ में आ जाता तो भला होता। पर हम तो अपनी तरफ ताकते तक नहीं।और भीऔर भी