ज़माना सपनों का
आज का जमाना ही सपने देखने-दिखाने और उन्हें पूरा करने का जमाना है। अगर आप अपने सपने के लिए काम नहीं करते तो दूसरों के सपनों के लिए काम करते हैं। अपने या दूसरों के लिए? फैसला आपका है।और भीऔर भी
मेघ से घिरी मेधा
यूं तो हम सभी अंदर से सूरज की तरह तेजस्वी व मेधावी होते हैं। लेकिन बचपन से लेकर बड़े होने तक जमाने से मिले काले मेघ उसे घेर लेते हैं। चाहें तो हम हर मेघ को मेहनत-मशक्कत से काट सकते हैं।और भीऔर भी
मुंह फुलाकर हनुमान
जमाना हम से है, हम जमाने से नहीं – जैसी बातें मुंह फुलाकर हनुमान बनने से ज्यादा कुछ नहीं। जमाना हमारे बगैर भी चलता है और चलता रहेगा। हमें जमाने को समझने की जरूरत है, न कि जमाने को हमें।और भीऔर भी
धर्म पुश्तैनी!
पुश्तैनी पेशे का जमाना अब नहीं रहा। सोनार का बेटा, लोहार का बेटा लोहार या किसान का बेटा किसान बनें, जरूरी नहीं। फिर धर्म क्यों पैतृक संपदा या पुश्तैनी जागीर के रूप में हम पर मढ़ दिया जाता है?और भीऔर भी
सावधानी हटी, जेब कटी
यह थोड़े सच और ज्यादा झूठ का जमाना है। हर कोई लूट-खसोट के जरिए पूंजी बटोरने में जुटा है। मौका मिलते ही शिकार पर हाथ साफ। इसलिए सावधान! ठग और जेबकतरे किसी भी भेष में आ सकते हैं।और भीऔर भी
काम का बखान
वह जमाना अब नहीं रहा, जब कम बोलना अच्छा माना जाता था। आजकल तो सफलता उन लोगों के कदम चूमती है, जो बेहतरीन शब्दों में बेहतरीन ढंग से अपने काम का बखान कर सकते हैं।और भीऔर भी
हर मोड़ पर ठग
हमारे जमाने का दस्तूर ही ऐसा है कि एक के नुकसान में दूसरे का फायदा है। हर मोड़ पर ठग लूटने के लिए तैयार बैठे हैं। हमारा बाजार अभी बहुत कच्चा है। इसलिए ज्यादा सच्चा होना अच्छा नहीं।और भीऔर भी
दृश्य अदृश्य
पहले सड़क ही बनती थी। अब स्काई-ओवर भी बनते हैं। पहले जमीन से मिलती थी सुरक्षा। अब अंतर-संबंधों का मकड़जाल सुरक्षा देता है। पहले सब कुछ मूर्त था। अब बहुत कुछ अमूर्त है। वाकई बदल गया है जमाना।और भीऔर भी